रांची । रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में विस्थापन प्रमुख समस्या रही है। विकास कार्यों के लिए लोगों की जमीन तो ली जाती रही है और उन्हें विस्थापित बनाकर छोड़ दिया जाता रहा। जमीन मालिक होते हुए वे विस्थापित कहलाते रहे, उन्हें जमीन के कागजात नहीं दिये गये। लेकिन हमारी सरकार का मानना है कि विकास कार्यों के लिए जमीन देनेवाला व्यक्ति ही असली मालिक है। उन्हें हम उजाड़ने से पहले बसाने का काम कर रहे हैं। उन्हें मालिक बनाया जा रहा है।
विधानसभा की जमीन के विस्थापितों के लिए जो यह कॉलोनी बनायी गयी है, यह एक मिसाल है। रविवार को मुख्यमंत्री ने कुटे स्थित विस्थापन एवं पुनर्वास कालोनी में वृहत पौधरोपण कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इस कॉलोनी का नामकरण महान स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के नाम पर किया जायेगा। इस कॉलोनी में सरकार ने पौधरोपण कर दिया है। अब आप सबों की यह जिम्मेवारी है कि इनकी देख-रेख करें। पेड़-पौधे जीवन और संस्कृति दोनों के लिए जरूरी हैं। इनका संरक्षण करना जरूरी है। इसके साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करना होगा। कार्यक्रम में हटिया विधायक नवीन जायसवाल, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव इंदूशेखर चतुर्वेदी, भवन सचिव सुनील कुमार, हेड ऑफ फोरेस्ट संजय कुमार, पीसीसीएफ शशि नंद कुलियार समेत अन्य अधिकारी व स्थानीय निवासी उपस्थित थे।
14 जनवरी के बाद कराया जायेगा गृह प्रवेश
मुख्यमंत्री दास ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव कॉलोनी में विस्थापितों को 14 जनवरी के बाद गृह प्रवेश कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि कॉलोनी में ही स्कील डेवलेपमेंट का कैंप लगाकर यहां की महिलाओं को हाउस कीपिंग, टेलरिंग व युवाओं को विभिन्न तरह के प्रशिक्षण दिये जायेंगे। नये विधानसभा, सचिवालय भवन में इन्हें रोजगार मुहैया कराया जायेगा। ताकी ये घर पर रहते हुए ही काम कर सकें।
महिलाएं सखी मंडल बनायें, सरकार उन्हें प्रशिक्षण देकर रोजगार के साथ जोड़ेगी
मुख्यमंत्री दास ने कहा कि यहां की महिलाएं सखी मंडल बनायें। सरकार उन्हें प्रशिक्षण देकर रोजगार के साथ जोड़ेगी। इस वर्ष नवंबर से राज्य की 40 हजार महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जायेगा। ये सभी महिलाएं सखी मंडल से जुड़ी हुई हैं। इन्हें रेडी टू इट योजना से जोड़ा जा रहा है। अब ग्रामीण महिलाएं ही आंगनबाड़ी के लिए पौष्टिक आहार तैयार कर भेजेंगी। इससे राज्य के 500 करोड़ रुपये जो बाहर जाते थे, वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि यहां थोड़े बहुत काम बाकी रह गये हैं। जनवरी के पहले उन्हें पूरा कर लिया जायेगा।
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