रांची। पलामू टाइगर रिजर्व में तीन बाघ हैं। इनमें दो मेल और एक फिमेल हैं। जबकि हजारीबाग और सारंडा के जंगलों के पास भी बाघ के निशान पाये गये हैं। कैमरा टैप में यह पाया गया है।
राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक इंदु शेखर चतुर्वेदी ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह आंकड़ा जून 2018 से अक्टूबर 2018 का है। चतुर्वेदी ने कहा कि भोजन की तलाश में जंगल से निकल हाथी बाहर आते हैं और गांवों उत्पात मचाते हैं। कई जिलों से ऐसी रिपोर्ट आयी है कि जहां हाथी उत्पात मचाते हैं, वहां पर लोग सेल्फी लेने के चक्कर में रहते हैं, साथ ही वीडियो भी बनाते हैं। इससे हाथी उग्र हो जाते हैं और घटनाओं को अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने को लेकर गंभीर है। हाथियों के उत्पात वाली जगहों पर अब धारा 144 लगाई जायेगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही सभी डिप्टी कमिश्नरों को पत्र लिखा जायेगा। चतुर्वेदी ने बताया कि झारखंड में हाथी द्वारा मारे जाने पर चार लाख रुपये मुआवजा का प्रावधान है। पहले हाथी द्वारा मारे जाने पर ढाई लाख रुपये देने का प्रावधान था। जबकि फसल के नुकसान और हाथियों से घायल होने पर भी मुआवजे का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि राज्य में पॉलिथीन पर बैन है लेकिन लोग चोरी छिपे इसका उपयोग कर रहे हैं। लोगों को अपनी लाइफ स्टाइल बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि झारखंड में प्लास्टिक के 75 मैनुफैक्चर हैं। जबकि पॉलिथीन के एक भी नहीं है। फिर भी पड़ोसी और अन्य राज्यों से यहां पॉलिथीन आ रहा है। प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य वन संरक्षक पदाधिकारी संजय कुमार, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक रामलखन प्रसाद गुप्ता, शशिनंद क्यूलियार, अजय कुमार रस्तोगी, राजीव लोचन बख्शी सहित विभाग के कई अधिकारी उपस्थित थे।
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