नई दिल्ली/बेंगलुरु। आखिरकार कॉफी किंग वी.जी. सिद्धार्थ का शव नेत्रवती नदी में मिल गया। बुधवार सुबह 6.30 बजे मछुआरों ने हॉग बाजार में समुद्र किनारे से उनकी डेडबॉडी को निकाला। दरअसल यह उस जगह से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर है, जहां सोमवार को आखिरी बार सिद्धार्थ को देखा गया था। कॉफी की ग्लोबल ब्रांड स्टारबक्स के मुकाबले भारत में कैफे कॉफी-डे को अधिक सफल ब्रांड के रूप में सिद्धार्थ ने खड़ा किया। कॉफी किंग के नाम से मशहूर कैफे कॉफी-डे श्रृखंला के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ के पिता कॉफी के बगान में काम करते थे। सिद्धार्थ की पहचान एक सफल करोबारी की रही है। हालांकि, पहले उनकी गुमशुदगी और एक पत्र ने सनसनीखेज मामला खड़ा कर दिया, जिसके कयास अलग-अलग लगाए जा रहे हैं। सिद्धार्थ ने पीजी की डिग्री लेने के बाद मुंबई में निवेश बैंकर के तौर पर काम करना शुरू किया। बाद में साल 1993 में उन्होंने कॉफी ट्रेडिंग शुरू की और साल 1984 में सिद्धार्थ ने बेंगलुरु में अपनी निवेश एवं वेंचर कैपिटल फर्म सिवन सिक्योरिटीज शुरू किया। इसके बाद कंपनी के मुनाफे से उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में कॉफी के बगान खरीदे। वी.जी. सिद्धार्थ ने साल 1993 में उन्होंने अमलगमेटेड बीन कंपनी(एबीसी) के नाम से कॉफी ट्रेडिंग कंपनी शुरू की। हालांकि कंपनी का सालाना कारोबार छह करोड़ रुपये था, जो कि धीरे-धीरे बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये हो गया। इसके बाद जर्मनी की कॉफी रेस्तरां चेन टीचीबो से सिद्धार्थ काफी प्रभावित हुए थे, जिसके बाद उन्होंने देश में कैफे चेन खोलने का फैसला किया। वीजी सिद्धार्थ ने यहां कैफे कॉफी-डे (सीसीडी) का पहला स्टोर साल 1994 में बेंगलुरु में खोला। अब ये भारत में कॉफी रेस्तरां की सबसे बड़ी चेन है। वियना और कुआलांलपुर सहित 200 से अधिक शहरों में इसके 1,750 कैफे हैं। उल्लेखनीय है कि सिद्धार्थ ने सीसीडी और माइंडट्री सॉफ्टवेयर कंपनी और अन्य संबद्ध उद्योगों के माध्यम से 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए। एक रिर्पोट के अनुसार 60 साल के कारोबारी सिद्धार्थ पर हाल के वर्षों में करीब 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था। अपना कर्ज उताने के लिए उन्होंने कोका-कोला से कंपनी को आठ हजार करोड़ रुपये से लेकर 10 हजार करोड़ रुपये तक के मूल्यांकन पर बेचने के लिए बातचीत कर रहे थे। वित्त वर्ष 2017-18 में कैफे कॉफी-डे ग्लोबल का रेवेन्यू 1,777 करोड़ रुपये और 2018-19 में 1,814 करोड़ रुपये पहुंच गया। मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने पर कंपनी को 2,250 करोड़ रुपये के रेवेन्यू की उम्मीद है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से सिद्धार्थ कॉफी बिजनेस समेत अन्य कारोबारों में नकदी संकट से जूझ रहे थे। वहीं उन्होंने आयकर विभाग पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था, जिसका खंडन आईटी डिपार्टमेंट ने किया है। सिद्धार्थ पूर्व केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एस.एम. कृष्णा के दामाद थे।
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