मुंबई। इंडिया मेडट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड, मेड्ट्रोनिक पीएलसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ने शुक्रवार को वीनासील क्लोजर सिस्टम शुरू करने की घोषणा की। यह एक चिकित्सा विधि है जो पुराने शिराओं से संबंधित रोगों से ग्रस्त मरीजों में बीमार नसों की रोकथाम के लिए एक ट्रेडमार्क युक्त चिकित्सीय चिपचिपे पदार्थ का उपयोग करता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिससे वैश्विक स्तर पर 190 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं। स्वस्थ पैर की नसों में वाल्व होते हैं जो हृदय तक रक्त प्रवाह करते रहते हैं। शिरापरक भाटा रोग, जिसे सीवीडी के रूप में भी जाना जाता है, तब विकसित होता है जब वाल्व ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। रक्त को पीछे (यानी, भाटा) और निचले पैर की नसों के पूल में प्रवाहित होने देते हैं। यदि सीवीडी को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो लक्षण समय के साथ बिगड़ सकते हैं। इंडिया मेडट्रोनिक प्राइवेट लिमिटेड के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक मदन कृष्णन के मुताबिक वीनासील एक अभिनव दृष्टिकोण है, जिसे रोगी की परेशानी और ठीक होने की समय को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। दुनिया भर के हजारों रोगियों को इस चिकित्सा से लाभ हुआ है। हम अब भारत में इस उन्नत तकनीक की पेशकश से प्रसन्न हैं।
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