रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को स्थानीय नीति रद्द करने और स्थानीय लोगों को नौकरी देने की मांग को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इस कारण प्रश्नकाल नहीं चला और सदन की कार्यवाही भोजनावकाश के पूर्व दो बार स्थगित करनी पड़ी।
विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के आसन ग्रहण करते ही झामुमो के जगरनाथ महतो ने शिक्षकों की नियुक्ति में 75 प्रतिशत बाहरी लोगों को नियुक्त करने का मामला उठाते हुए कहा कि इस संबंध में विपक्ष की ओर से कार्यस्थगन की सूचना दी गयी है, उसपर चर्चा करायी जाये। इस पर सभाअध्यक्ष उरांव ने कहा कि उन्हें जगरनाथ महतो, दीपक बिरूवा, इरफान अंसारी और बादल पत्रलेख की ओर से कार्यस्थगन की तीन सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। उन्होंने नियमानुकूल न पाकर तीनों सूचनाओं को अमान्य कर दिया है। इसके बाद झामुमो के कई सदस्य आसन के समीप आकर नारे लगाने लगे। वे स्थानीय नीति रद्द करने और स्थानीय लोगों को नौकरी देने की मांग कर रहे थे।
झामुमो के स्टीफन मरांडी ने कहा कि झारखंड का निर्माण झारखंडियों को न्याय मिले, इस मकसद से हुआ था। लेकिन यह मकसद पूरा नहीं हो रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति में 75 प्रतिशत लोग बाहर के हैं। स्थानीय लोगों को नौकरी दी जानी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछले चार साल में हुई नियुक्तियों की सीबीआई जांच हो। विधानसभा अध्यक्ष के बार-बार आग्रह करने के बाद भी झामुमो सदस्य अपने स्थान पर न जाकर सदन के वेल में नारेबाजी करते रहे। इससे सदन में भारी शोरगुल होने लगा। इसके जवाब में सत्ता पक्ष के भी कई विधायक अपने स्थान पर खड़े होकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाये। भाजपा सदस्यों ने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन को गुमराह कर रहे हैं। इससे झामुमो के सदस्य और उत्तेजित हो गये तथा जोर-शोर से नारेबाजी करने लगे। इससे सदन पूरी तरह हंगामें में डूब गया।सदन को अव्यवस्थित देख स्पीकर ने कार्यवाही पौने 12 बजे तक स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने कार्यस्थगन सूचनाओं को संज्ञान में लिया और अमान्य कर दिया। इसके बाद भी यदि सदन सुचारू रूप से चले, तो सभी को बोलने का मौका मिलेगा। इसपर भाजपा के राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सदन में अब आगे की प्रक्रिया शुरू की जाये।
इस बीच नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने प्रतिपक्ष के नेता की एक टिप्पणी पर कहा कि उनका मानना है कि संसदीय लोकतंत्र में नेता प्रतिपक्ष को व्यवहार में विशेषाधिकार प्राप्त है। वह जैसा भी शब्दों का चयन और प्रयोग कर सकते हैं। इस पर झामुमो सदस्य एक बार फिर खड़े होकर सदन में शोर-शराबा करने लगे। इस पर सीपी सिंह ने कहा कि हमारे खड़ा होते ही इन लोगों को मिर्ची लग जाती है, मैं क्या करूं। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता नगर विकास विभाग के बारे में बहुत कुछ जानते हैं, तो उजागर क्यों नहीं करते। शोर-शराबे के बीच ही सभाध्यक्ष ने सदन पटल पर कुछ कागजात रखवाये और कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
This post has already been read 6968 times!