मोदी सरकार की ओर से 19 सरकारी कंपनियों को बंद करने की मिल चुकी है मंजूरी,

दिल्ली : मोदी सरकार की ओर से एचएमटी, हिंदुस्‍तान केबल्‍स और इंडियन ड्रग्‍स जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की 15 से ज्‍यादा कंपनियों को बंद करने की मंजूरी दी जा चुकी है. ये सभी कंपनियां घाटे में चल रही हैं. सरकार की ओर से यह जानकारी कांग्रेस के लोकसभा सांसद एडवोकेट अदूर प्रकाश के सवाल के जवाब में दी गई है.
दरअसल, लोकसभा में कांग्रेस के सांसद एडवोकेट अदूर प्रकाश ने भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्रालय से पब्‍लिक सेक्‍टर की कंपनियों का ब्‍यौरा मांगा है. इसमें उन्‍होंने कुछ सवाल पूछे. अदूर प्रकाश का पहला सवाल था कि क्‍या सरकार घाटे में चल रहे पीएसयू को बंद करने या उनके निजीकरण पर विचार कर रही है? इसके अलावा उन्‍होंने सवाल किया कि क्‍या नीति आयोग ने निजीकरण के लिए पीएसयू की एक नई सूची तैयार की है? यही नहीं, अदूर प्रकाश ने निजीकरण के लिए प्रस्‍तावित सभी पीएसयू के मुनाफा या नुकसान का भी ब्‍यौरा मांगा.

इन सवालों का जवाब देते हुए मंत्रालय के मंत्री अरविंद गणपत सांवत ने अलग-अलग विभागों की घाटे में चल रही कंपनियों के बारे में जानकारी दी. इसके साथ ही उन्‍होंने उन 19 पीएसयू कंपनियों की सूची भी जारी की जिसे बंद करने की कवायद हो रही है. मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारी उद्योग विभाग-तुंगभद्रा स्‍टील प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड, एचएमटी वॉचेज लिमिटेड, एचएमटी चिनार वॉचेज लिमिटेड, एचएमटी बियरिंग्‍स लिमिटेड, हिंदुस्‍तान केबल्‍स लिमिटेड, एचएमटी लिमिटेड की ट्रैक्‍टर यूनिट और इंस्‍ट्रूमेंटेशन लिमिटेड की कोटा यूनिट को बंद करने की मंजूरी सरकार की ओर से दे दी गई है.

इसी तरह जहाजरानी मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय अंतर्देशीय जल परिवहन निगम लिमिटेड भी घाटे में चल रही है. जबकि फार्मास्‍युटिकल्‍स विभाग के इंडियन ड्रग्‍स और राजस्‍थान ड्रग्‍स एंड फार्मास्‍युटिकल्‍स लिमिटेड को भी सरकार द्वारा बंदी के लिए अनुमोदित की जा चुकी है. इसके अलावा जिन कंपनियों को सरकार बंद करने की मंजूरी दे चुकी है उनमें पेट्रोलियम, पर्यावरण, रेल मंत्रालय के अधीन आने वाली कंपनियां भी शामिल हैं.

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