रांची। कांग्रेस ने कहा है कि 21वीं सदी के भारत में अगर किसी की मौत भूख से हो जाए, तो यह झारखंंड में ही संभव है और मोदी है तो मुमकिन है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे ने शुक्रवार को कहा कि लातेहार जिला के महुआडांड़ प्रखण्ड में रामचरण मुण्डा की मौत भूख से हो गई। उसके घर में पिछले तीन दिन से चूल्हा नहीं जला था और तीन महीने से राशन भी नहीं मिला था। इसके पूर्व गढ़वा की 64 वर्षीय प्रेमनी देवी की मौत भूख से हो गई थी। 11 वर्षीय सिमडेगा की संतोषी भात-भात कहते मर गई थी। गिरिडीह की सावित्री देवी मौत भूख से हुई थी, वहीं दुमका में भी हाल ही में कलेश्वर सोरेन की मौत भूख से होने की रिपोर्ट सामने आयी थी। उन्होंने कहा कि जब मीडिया में भूख से मौत की खबर आती है, तो सरकार को मीडिया एवं राजनीतिक दलों पर गुस्सा आता है। सरकार का यह काम है कि वह बताए कि मौत भूख से हुई या अन्य किसी कारण से। हालांकि सरकार इस तरह से हुई मौतों को नकारती आयी है। दुबे ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से लगभग 50 लाख परिवारों को जोड़ दिये जाने के राज्य सरकार दावे के बावजूद अगर आदिवासी वृद्ध रामचरण मुण्डा की मौत भूख से होती है तो हुक्मरानों के लिए यह शर्म की बात है और मानवता को झक झोरने वाली घटना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की लापरवाही और गलत नीतियों की वजह से लोगों की जान जा रही है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर मुण्डा के मौत की जांच होगी और फिर प्रशासन इसकी लीपापोती में लग जाएगी। दुबे ने कहा है कि सरकार को आधार लिंक की अनिवार्यता को खत्म करना चाहिए, क्योंकि इसका बहाना बनाकर राशन दुकानदार गरीबों को परेशान करते हैं।
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