2009 के बाद कोई निर्दलीय नहीं जीत सका लोकसभा चुनाव

रांची। झारखंड में 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद किसी भी निर्दलीय उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है। इसबार भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रामटहल चौधरी पर सबकी नजर थी। राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर इसबार रामटहल चौधरी सहित कुल 95 निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। इनमें चौधरी सहित ज्यादातर  की जमानत जब्त हो गयी।

भाजपा ने इसबार चौधरी को टिकट नहीं दिया। जिससे नाराज चौधरी पार्टी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूद गए। चुनाव परिणाम आने पर चौधरी को जमीनी हकीकत का पता चल गया। भाजपा ने इसबार रांची लोकसभा सीट से संजय सेठ को उम्मीदवार बनाया था। संजय सेठ ने रांची में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय को 2,83,026 मतों से हराया। संजय सेठ को 706828 और सुबोधकांत सहाय को 423802 वोट मिले। जबकि पिछले चुनाव में बतौर भाजपा उम्मीदवार चार लाख 48 हजार वोट लाने वाले  रामटहल चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ने पर 30 हजार से नीचे ही सिमट गये। पांच बार सांसद रहे चौधरी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके।

लोकसभा चुनाव के पूर्व चौधरी ने कहा था कि यदि उनका टिकट कटा तो कई सीटों पर इसका असर पड़ेगा और भाजपा के कई उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दरअसल, चौधरी को अपनी बिरादरी के महतो वोटों पर भरोसा था लेकिन  महतो वोटरों ने भाजपा का साथ दिया। रांची के अलावा अन्य संसदीय क्षेत्रों में भी महतो मतदाता भाजपा के पक्ष में गोलबंद रहे। गिरिडीह और जमशेदपुर के नतीजों से यह स्पष्ट है।

झारखंड राज्य गठन के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में 71, जबकि 2009 में 100 और 2014 में 76 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी दंगल में थे। इनमें से अधिकतर की जमानत जब्त हो गयी।

झारखंड में 2009 में दो निर्दलीय उम्मीदवार सांसद चुने गये थे। उस चुनाव में चतरा से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार इंदर सिंह नामधारी ने कांग्रेस के धीरज साहू को हराया था। जबकि मधु कोड़ा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में  सिंहभूम सीट से भाजपा के बड़कुंवर गगरई  को हराया था।

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