रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन दुमका लोकसभा सीट से नौ बार जीत का रिकॉर्ड बनाने से चूक गये। शिबू सोरेने को इसबार भारतीय जनता पार्टी के उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी सुनील सोरेन ने 32 हजार से अधिक मतों से हरा दिया। पिछले लोकसभा चुनाव में सुनील सोरेन, शिबू सोरेन से हार गये थे। शिबू सोरेन 11 वीं बार दुमका से अपनी किस्मत आजमा रहे थे।
दुमका लोकसभा क्षेत्र पूरे राज्य में अति महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा रहा था। झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन इस क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे हैं। आजादी के बाद से दुमका सहित पूरा संताल परगना झारखंड नामधारी दलों का मजबूत जनाधार वाला क्षेत्र माना जाता रहा। इस क्षेत्र में इन दलों की मजबूत पकड़ रही है। 1952 से अभीतक इस क्षेत्र में एक उपचुनाव सहित लोकसभा के 17 चुनाव हुए। इसमें सर्वाधिक बार झारखंड पार्टी या झामुमो के प्रत्याशी ही विजयी होते रहे हैं।
1980 में बतौर निर्दलीय शिबू सोरेन ने कांग्रेस और जनता पार्टी के निवर्तमान सांसद बटेश्वर हेम्ब्रम को पराजित कर इस सीट पर पहली बार कब्जा जमाया था। हालांकि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस के पृथ्वी चन्द्र किस्कू ने शिबू सोरेन को पराजित कर करीब एक दशक के बाद पुनः दुमका संसदीय सीट पर कांग्रेस का पताका लहरा था।
1989 में शिबू सोरेन के नेतृत्व में झामुमो बीपी सिंह की पार्टी जनता दल गठबंधन में शामिल हो गया। इस चुनाव में शिबू सोरेन जनता दल के साझा उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस पृथ्वी चन्द्र किस्कू को हरा कर पुनः झामुमो को इस क्षेत्र में स्थापित किया। इसके बाद झामुमो उम्मीदवार के रूप में शिबू सोरेन 1991 और 1996 में भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी को पराजित किया।
1998 में तीसरे प्रयास में भाजपा के बाबूलाल मरांडी ने झामुमो के शिबू सोरेन को पराजित कर पहली बार इस क्षेत्र में भाजपा का भगवा पताका फहराने में सफल हुए। 1999 में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल मरांडी के खिलाफ झामुमो ने शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन किस्कू को मैदान में उतारा था, उसमें बाबूलाल मरांडी झामुमो प्रत्याशी को पराजित करने में सफल हुए। मुख्यमंत्री बनने के बाबूलाल मरांडी के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में अपने किले को मजबूती प्रदान करने के लिए झामुमो प्रत्याशी के रूप में शिबू सोरेन पुनः मैदान में उतरे थे। सोरेन के खिलाफ भाजपा से रमेश हेम्ब्रम पर दांव खेला लेकिन रमेश को झामुमो के शिबू सोरेन से परास्त होना पड़ा।
2004 में शिबू सोरेन के खिलाफ भाजपा ने सोनेलाल हेम्ब्रम को अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव भी सोरेन ने भाजपा के सोनेलाल सोरेन को पराजित कर दिया। 2009 में भाजपा ने झामुमो के शिबू सोरेन के खिलाफ कभी उनके शिष्य रहे सुनील सोरेन पर दांव खेला लेकिन इस चुनाव में कांटे की टक्कर में शिबू सोरेन ने भाजपा के सुनील सोरेन को परास्त करने में सफल रहे। 2014 में भाजपा ने झामुमो के शिबू सोरेन के खिलाफ पुनः सुनील सोरेन को जंग में उतारा। इस चुनाव में शिबू सोरेन, भाजपा के सुनील सोरेन को परास्त कर इस सीट पर झामुमो को कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हुए। इस बार वह सुनील सोरेन से हार गये।
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