नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युनिसिपल बांड जारी करने के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव किया है। म्युनिसिपल बांड का मकसद नगर निकायों जैसी इकाइयों को कोष जुटाने में सक्षम बनाना है। इसके अलावा नियामक ने निजी नियोजन के आधार पर म्युनिसिपल बांड जारी करने के लिए न्यूनतम अनुदान को 25 लाख रुपये से घटाकर कारपोरेट बांड के समान 10 लाख रुपये कर दिया है। सेबी ने कहा कि ऐसे नगरीय विकास निकाय या उस जैसा काम करने वाली अन्य एजेंसियां जिन्हें संविधान के तहत नागरिक निकाय के तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है उन्हें भी भी म्युनिसिपल बांड के जरिए कोष जुटाने के योग्य बनाया गया है।
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