भारत-बांग्लादेश तटरक्षक बलो के संयुक्त प्रयास से सुरक्षित बचाए गए 516 मछुआरे

कोलकाता। समुद्र में उठे तूफान को नजरअंदाज कर मछली पकड़ने के लिए वोट लेकर निकले 516 मछुआरे बांग्लादेश की जल सीमा में जाकर फंस गए थे। उन्हे भारत और बांग्लादेश के कोस्ट गार्ड ने संयुक्त अभियान चला कर सुरक्षित बचाया है। इन सभी को नदी के रास्ते मंगलवार शाम वापस लाया गया है। बुधवार को कोस्ट गार्ड की ओर से इस बारे में विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी गई।
इसमें बताया गया है कि 32 ट्रेलर में सवार होकर 516 मछुआरे बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर गए थे। दरअसल दरअसल गत छह जुलाई को समुद्र में तूफान उठा था। मौसम विभाग की मनाही को दरकिनार कर हिलसा मछली पकड़ने के लिए ये सारे मछुआरे सैकड़ों ट्रेलर में सवार होकर समुद्र में चले गए थे। बीच में ही तेज तूफान की वजह से समुद्र का पानी 20 फीट ऊंचा उठ गया था जिसकी वजह से एफबी नयन, एफबी दसभुजा, एफबी बाबाजी व एफबी जय योगीराज रास्ते में ही डूब गए। अभी भी 23 मछुआरों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। बाकी मछुआरे 32 नौका में सवार होकर बांग्लादेश की जल सीमा में प्रवेश कर गए थे। वहां पायरा पोर्ट के पास इन लोगों ने शरण ली थी। जिस दिन इन मछुआरों की नौका समुद्र में लापता हुई थी उसी दिन भारतीय कोस्ट गार्ड ने बांग्लादेश कोस्ट गार्ड से संपर्क साधा था। 
दोनों जल रक्षा वाहिनी के समन्वय के बाद बांग्लादेश कोस्ट गार्ड ने “मनसूर अली” और “स्वाधीन बांग्ला” नाम के पानी के जहाज की मदद से इन मछुआरों को खोज निकाला था।  ट्रेलर से इनके नावों को बांधकर इन्हें सुरक्षित रखा गया था। भारतीय कोस्ट गार्ड ने नियमित तौर पर बांग्लादेश कोस्ट गार्ड से इस मामले में संपर्क बनाकर रखा था। जब समुद्र में मौसम थोड़ा शांत हुआ तब जाकर मंगलवार को इन्हें वापस लौटाने की प्रक्रिया शुरू की गई। भारतीय कोस्ट गार्ड ने “विजय” और “अनमोल” नाम के जहाज की मदद से इन्हें वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की। बांग्लादेश कोस्ट गार्ड ने इन मछुआरों को ट्रेलर सहित भारतीय जल सीमा के पास पहुंचाया और वहां से भारतीय कोस्ट गार्ड ने इन्हें दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप तक सुरक्षित पहुंचाया । बाकी लापता मछुआरों की  तलाश की जा रही है। 

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