Ranchi : राज्य सरकार छोटे-छोटे नर्सरी उद्यमियों को स्वरोजगार के लिए बढ़ावा देगी. इन नर्सरी उद्यमियों से तैयार इमारती पौधों की खरीद की जायेगी. मनरेगा आयुक्त श्रीमती राजेशवरी बी ने इस बाबत सभी उपायुक्त सभी उपविकास आयुक्त सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है. दीदी बगिया योजना से तैयार टिम्बर प्लांट की खरीद कर बिरसा हरित ग्राम योजना से पौधारोपण के लिए उपयोग किया जायेगा. राज्य में अभी जिला प्रखंड स्तर पर स्वंय सहायता समूहों द्वारा 320 दीदी नर्सरी शुरू हुआ है जिसमें बड़े पैमाने पर पौधों को तैयार किया जा रहा है।
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35 फीसदी सस्ता लिया जायेगा
पौधों के दर का निर्धारण जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा किया जायेगा. मिली जानकारी के अनुसार पौधों का दर का निर्धारण प्राक्कलित राशि से 35 फीसदी कम पर किया जायेगा. इसकी सहमति भी जेएसएलपीएस के साथ हुई बैठक में ली गयी है. चूंकी दीदी बगिया में ईमारती पौधे तैयार करने में मजदूरी एवं सामग्री का खर्च का वहन मनरेगा के अंतर्गत किया जा रहा है. ऐसे में इनके दर का निर्धारण प्राक्कलित राशि से कम होगा. इसके अतिरिक्त ढुलाई का खर्च मनरेगा में प्रावधान, प्राक्कलन के अनुरूप दिया जयेगा. हालांकि,दीदी बगिया के द्वारा इमारती पौधे अगर उपलब्ध नहीं हुए तब वैसी स्थिति में सरकारी या निजी नर्सरियों से पौधों की खरीद की जायेगी. विभाग का मानना है कि दीदी नर्सरी से पौधों की खरीद होने पर करोड़ों रुपये की बचत होगी।
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1.5 साल तक वित्तीय सहायता
मनरेगा के अंतर्गत दीदी बगिया योजना के लिए 1.5 साल तक वित्तीय सहायता प्रदान किया जा रहा है. अत: जिस अवधि तक नर्सरी उद्यमी को दीदी बगिया के लिए वित्तीय सहायता प्रदान किया जा रहा है उस अवधि तक नर्सरी उद्यमी को दीदी बगिया के लिए वित्तीय सहायता प्रदान किया जा रहा है. ऐसे में उक्त अवधि तक दीदी बगिया में उत्पादित ईमारती पौधों को सबसे पहले मनरेगा योजना के लिए क्रय किया जायेगा।
ये पौधें लिए जायेंगे
शीशम, नीम, बकेन, गम्हार, कटहल के पौधों की खरीद होगी. इनमें यह देखा जायेगा कि पौधे की लंबाई कम से कम 1.5 फीट हो. रूट-शुट पौधा को प्राथमिकता दिया जायेगा. पौधा काला पॉलिथीन में उगाया गया हो. पौधा का कॉलर डायमीटर 0.5 इंच से कम नहीं हो. पौधा में किसी प्रकार का कीट-बीमारी का प्रकोप नहीं हो।
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