11वीं की पुस्तकों के दाम पाठ्य पुस्तक निगम ने 75 फ़ीसदी तक बढ़ाया

रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने ग्यारहवीं की किताबों के दाम 75 फ़ीसदी तक बढ़ा दिये हैं। निगम ने 12 जून को एक सर्कुलर निकाल कर उन पुस्तकों की जानकारी दी है जिसकी उसने कीमत बढ़ाई है। उसने यह भी निर्देश दिया है कि पुरानी किताबों की कीमत पर नई कीमत की पर्ची चस्पा कर बेचा जाए। पाठ्य पुस्तक निगम की सूत्रों के अनुसार पिछले 2 सालों से निगम ने एनसीईआरटी के साथ एक समझौता किया था कि वह छत्तीसगढ़ में 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए उनकी दर पर पुस्तकें छाप कर बेचेगा। पर इस वर्ष उसने अचानक ही किताबों के दाम बढ़ाने के निर्देश दे दिए हैं। अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि इसका फायदा किसे मिलेगा। रायपुर के कुछ पुस्तक विक्रेताओं से जब इस बाबत चर्चा की गई तो उन्होंने हैरानी व्यक्त करते हुए बताया कि नेशनल काउंसिल आफ रिसर्च एजुकेशनल एंड ट्रेनिंग इन पुस्तकों को पुरानी कीमत पर ही बेच रही है। पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा इनके दाम बढ़ाकर बेचना समझ से परे है। इस मूल्य वृद्धि को लेकर लोगों ने ताजातरीन कांग्रेस की सरकार पर आक्षेप भी किये हैंं। उल्लेखनीय बात यह है कि अभी मुद्रण सामग्रियों के दाम भी नहीं बढ़े हैं। ना तो कागज कहीं दाम बढ़ा है और ना ही स्याही का। इस बारे में रायपुर पुस्तक विक्रेता संघ के अध्यक्ष दीपक बल्लेवार ने बताया कि किताबों के मूल्यों में 75 प्रतिशत की वृद्धि निगम की तानाशाही है। उन्होंने जानकारी दी कि 11वीं और 12वीं में ज्यादा चलने वाले हिंदी और अंग्रेजी की पुस्तकों का दाम बहुत ज्यादा है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी ने बताया कि निगम को पिछले वर्ष 11वीं और 12वीं की पुस्तके छापने पर 80 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इस वर्ष एनसीईआरटी से सरकार ने कोई समझौता नहीं किया है। प्रस्ताव जरूर राज्य सरकार को भेजा गया है। उन्होंने जानकारी दी थी 50 रुपये की लागत वाली पुस्तक का दाम 30रुपये रखा गया है। ज्ञात हो कि पाठ्य पुस्तक निगम पर छपाई और निविदा को लेकर कई बड़े आरोप लग चुके हैं। उसकी कार्यशैली विवादास्पद रही है। मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि इस विषय को लेकर शिक्षा मंत्री को अंधेरे में रखा गया है। इस विषय पर शिक्षा मंत्री से कोई जवाब नहीं मिला है।

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