रांची। राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेश कुमार मिश्र ने रविवार को कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता जीवन प्रबन्धन का शास्त्र है। डॉ. मिश्र संस्कृत विभाग, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में आयोजित श्रीगीताजयन्ती-सह-नवागत छात्राभिनन्दन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में विद्यमान शास्त्रों की विशाल ज्ञानराशि का सारभूत गीता में विद्यमान है। गीता के उपदेशों का आचरण कर हम अपने जीवन को सफल, सुंदर और कल्याणमय बना सकते हैं। कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को गीता का दर्शन अपने जीवन में उतारना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज समस्त विश्व में भ्रष्टाचार, आतंकवाद, रोग, महामारी का भय व्याप्त है। ऐसे समय में गीता का उपदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है, जो मनुष्य के चित्त और चरित्र को निर्मल बनाकर उसके जीवन की भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने कहा कि गीताधर्म का अभिप्राय मानवमात्र का आत्मोत्थान है, केवल तात्विक विचार परिवर्तन मात्र नहीं। इस ग्रन्थरत्न के चिन्तन-मनन से मानव मन परिष्कृत हो जाता है। गीता में ब्रह्मतत्त्व का अन्वेषण एक आध्यात्मिक अनुसन्धान है। गीता के समन्वयात्मक सन्देश का क्षेत्र सार्वभौम है। उन्होंने कहा, हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। सनातन परम्परा में गीता जयंती का महत्त्व बहुत ज्यादा है। महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इसे जयंती के रूप में मनाया जाता है।
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