गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कोई भी देश अपनी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण को महत्व दिए बिना विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता , और पिछली सरकारों के विपरीत भाजपा ने विकास और विरासतों के संरक्षण पर एक साथ जोर दिया है। गुवाहाटी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से आज़ादी के बाद जिन्होंने लंबे समय तक देश में सरकारें चलाईं, वे आस्था के इन पवित्र स्थानों का महत्व समझ नहीं पाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश, अपने अतीत को ऐसे मिटाकर, ऐसे भुलाकर, अपनी जड़ों को काटकर कभी विकसित नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, बीते 10 वर्षों में अब भारत में स्थितियां बदल गई हैं। भाजपा की डबल इंजन सरकार ने विकास और विरासत को अपनी नीति का हिस्सा बनाया है। असम में आस्था, अध्यात्म और इतिहास से जुड़े सभी स्थानों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। विरासत को संजोने के इस अभियान के साथ ही विकास का अभियान भी उतनी ही तेजी से चल रहा है। मोदी ने दावा किया कि उनकी सरकार ने देश भर में रिकॉर्ड संख्या में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा, बीते 10 वर्षों के दौरान देश में मेडिकल कॉलेज की संख्या करीब-करीब डबल हो चुकी है। पहले बड़े संस्थान सिर्फ बड़े शहरों में ही होते थे। हमने आईआईटी, एम्स, आईआईएम जैसे संस्थानों का नेटवर्क पूरे देश में फैलाया है। प्रधानमंत्री ने असम का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा सरकार से पहले 6 मेडिकल कॉलेज थे, आज 12 मेडिकल कॉलेज हैं। उन्होंने कहा कि नवीनतम केंद्रीय बजट में अगले एक साल में बुनियादी ढांचे के विकास में कम से कम 11 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा की गई है। मोदी ने कहा, 2014 के पहले 10 वर्षों में कुल 12 लाख करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट रहा…। यानि जितना पहले की केंद्र सरकार ने अपने 10 साल में खर्च किया था, करीब-करीब उतनी राशि हमारी सरकार अगले एक साल में खर्च करने जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि तीर्थों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों से पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा, काशी कॉरिडोर बनने के बाद, वहां रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। बीते एक वर्ष में साढ़ आठ करोड़ लोग काशी गए हैं। अयोध्या धाम में प्राण प्रतिष्ठा को अभी कुछ ही दिन हुए हैं। 12 दिन में ही अयोध्या में 24 लाख से ज्यादा लोग दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक बार गुवाहाटी में प्रस्तावित मां कामाख्या दिव्यलोक बनने के बाद यहां भी हम ऐसा ही दृश्य देखने वाले हैं।
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