कोलकाता। अमूमन हर एक मुद्दे पर केंद्र सरकार का मुखर विरोध करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को सरकार द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट को ‘एक्सपायरी बजट’ बताया है। ममता ने कहा कि अगले दो महीने में केंद्र की भाजपा सरकार चली जाएगी। ऐसे में यह बजट लागू कौन करेगा? बल्कि नई सरकार आएगी तो वह नया बजट पेश करेगी। ममता ने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह बजट पेश किया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लुभाया जा सके। शुक्रवार को राज्य सचिवालय नवान्न में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि हमें लगता है कि यह एक एक्सपायरी बजट है। यह हताशा का बजट है। यह बजट लागू नहीं हो पाएगा। इस सरकार का कार्यकाल एक महीने में खत्म हो जाएगा। चुनाव के बाद एक नई सरकार आएगी और एक नया बजट पेश करेगी। ममता ने कहा कि मैं एक अर्थशास्त्री नहीं हूं, लेकिन मेरे पास व्यावहारिक ज्ञान और विचार है। किसी को नहीं पता कि देश की वित्तीय स्थिति क्या है। जाहिर है देश में आर्थिक आपातकाल चल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि बजट में घोषित योजनाओं के लिये पैसा कहां से आएगा? इसका प्रबंधन कैसे होगा? उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के पास इस बजट को सामने रखने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। यह मूल्यहीन बजट है। इस सरकार ने पिछले साढ़े चार साल से किसानों के लिए एक भी एजेंडे की घोषणा क्यों नहीं की? ममता ने कहा कि हमने ‘कृषक बंधु’ योजना पहले ही शुरू कर दी है। इसी तरह की योजना की आज घोषणा की गई है। पहले इन योजनाओं की घोषणा क्यों नहीं की गई? हमारे पास स्वास्थ्य बीमा के लिए एक सफल योजना ‘स्वास्थ्य साथी’ है। हमने ‘आयुष्मान भारत’ योजना से हाथ पीछे खींच लिया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसे अपने प्रचार के लिए उपयोग कर रहे हैं। ममता ने कहा कि उन्होंने मनरेगा योजना के लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं दी है। निधि संशोधित अनुमान से कम है। लोगों को उनका बकाया नहीं मिल रहा है। 100 दिनों के लिए मिलने वाले रोजगार की धनराशि भी केंद्र सरकार नहीं दे रही है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के लिए राशि में 25 प्रतिशत की कमी की है। पिछले एक साल के भीतर दो करोड़ नौकरियों का नुकसान हुआ है और अब कौशल विकास बजट में 13.4 प्रतिशत की कटौती हुई है। यह एक शो-ऑफ बजट है। ममता ने यह भी कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वंचित वर्ग हैं और उनके लिए आवंटित राशि में उल्लेखनीय कमी आई है। अन्य कमजोर समूह- आवंटन में 20.8 प्रतिशत की कमी आई है। उज्जवला योजना- आवंटन में 14.9 प्रतिशत की कमी की गई है। ममता ने कहा कि एनपीए में पांच गुना वृद्धि हुई है। बैंकिंग प्रणाली नष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह बजट ऐसा है जैसे मौत के बाद डॉक्टर का आना। यह एक धोखा और दिखावा से बढ़कर कुछ नहीं है। केंद्र की सरकार ने किसानों मजदूरों युवाओं को ठगा है। ममता बनर्जी ने कहा कि वे अपनी तस्वीरों के साथ योजनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि इन योजनाओं को राज्य सरकारें वित्तपोषित कर रही हैं। केंद्र राज्यों से कर एकत्र करता है और हमें योजनाओं के लिए धनराशि नहीं दी जाती है। केंद्र की भाजपा सरकार का मजाक बनाते हुए ममता ने कहा कि मुझे लगा कि वे लोगों को 15 लाख रुपये ट्रांसफर करने की घोषणा कर सकते हैं। यह बजट एक प्रहसन है। यह लोगों को धोखा देने के लिए भाजपा के घोषणा पत्र के अलावा कुछ नहीं है। ममता ने कहा कि किसी योजना की घोषणा करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्याप्त धनराशि हो।
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