जेयूजे के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा

रांचीः झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज झारखंड के राज्यपाल महामहिम संतोष गंगवार से भेंट की। इस मुलाकात में उन्हें यूनियन की तरफ से एक ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में खास तौर पर पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में सरकार को दिशा निर्देश देने की मांग की गयी है। ज्ञापन में वैश्विक परिदृश्य का उल्लेख करते हुए पत्रकारों की बढ़ी हुई कठिनाइयों का भी जिक्र किया गया है। यूनियन के प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार अग्रवाल के अलावा रजत कुमार गुप्ता, विनय राज, मनोज मिश्र और राजेश प्रसाद शामिल थे।
यूनियन के ज्ञापन में कहा गया है कि पूरी दुनिया में पत्रकारिता को हिंसक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस क्रम में इजरायल, गाजा, यूक्रेन और रूस के उदाहरण पर्याप्त है। भारत में नक्सलवाद की वजह से यह चुनौती आंतरिक तौर पर अधिक बढ़ी हुई है। झारखंड भी एक नक्सलवाद प्रभावित राज्य होने की वजह से यहां भी चुनौतियां अधिक है। ग्रामीण इलाकों में पत्रकारिता इसलिए भी अधिक कठिन होती चली जा रही है। दरअसल ऐसे दुर्गम इलाकों में कार्यरत पत्रकारों को दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
किसी ऐसे इलाके में पत्रकार एक तरफ नक्सली धमकियों से परेशानी झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ उन्हें पुलिस की प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ रहा है। नक्सली अथवा प्रशासन जिस किसी को भी किसी खबर से परेशानी हो, वह अपने लाभ के लिए पत्रकारों का दमन करना चाहता है। सिर्फ पुलिस की बात करें तो इस किस्म के एक दर्जन से अधिक मामले झारखंड में अभी लंबित हैं। दरअसल किसी अफसर को अगर पत्रकार से बदला लेना हो तो वह फर्जी मुकदमा दर्ज कर प्रताड़ित करते हैं। किसी अनचाही परिस्थिति में किसी पत्रकार की मौत होने की स्थिति में उनके परिवार को अचानक परेशानियां का सामना करना पड़ता है। हम झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की तरफ से अपने सदस्य पत्रकारों के लिए आपसी सहयोग के जरिए मदद तो करते हैं पर वह किसी भी परिवार के लिए पर्याप्त नहीं होता।
महामहिम ने वर्तमान में आदर्श आचार संहिता लागू होने की बात कही और स्पष्ट किया कि इस दौरान में उनकी तरफ से सरकार को निर्देश देना उचित नहीं होगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को सभी राजनीतिक दलों से संपर्क कर उन्हें इन विषयों पर ध्यान देने की सलाह भी है। श्री गंगवार ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद यूनियन का प्रतिनिधिमंडल दोबारा उनसे मिले ताकि उस समय वह इस विषय पर कोई ठोस कार्रवाई कर सकें।

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