कल्पना सोरेन ने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव जीत कर दिखाया दमखम

गिरिडीह। झारखंड की गाण्डेय विस सीट पर उप चुनाव में बीते 25 मई को मतदान हुआ था, जिसकी मतगणना मंगलवार को हुई। इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रत्याशी कल्पना सोरेन मुर्मू ने 26 हजार 490 मतों के अंतर से राजनीतिक जीवन का पहला जीत हासिल किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिलीप वर्मा को पराजित किया।
चुनाव परिणाम के मुताबिक झामुमो की कल्पना सोरेन को 01 लाख 08 हजार 975 वोट प्राप्त हुए जबकि भाजपा के दिलीप वर्मा को 82 हजार 490 मत हासिल हुए। इसके साथ झारखंड की सियासत में कल्पना सोरेन एक प्रखर और प्रभावी नेता के रूप उभरी हैं। ओड़िशा में पली-बढ़ी सोरेन परिवार की बहू ने झामुमो सुप्रीमो सांसद शिबू सोरेन की शारीरिक अस्वस्था और पति हेमंत सोरेन के जेल में बंद रहने के बावजूद खुद की काबिलियत से यह उपलब्धि हासिल की है। इतना ही नहीं उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी समर्थकों को अपने नेता की कमी भी खलने नहीं दिया।
कल्पना सोरेन ने इस चुनाव में अनुभवी वक्ता की तरह मोदी सरकार पर तीखे हमले किये, जिसके फलस्वरूप उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुटती रही। उनका भाषण सुनने विरोधी दलों के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते थे। चुनावी सभाओं में कल्पना सोरेन लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में सफल रहीं। क्षेत्र की जनता ने कल्पना सोरेन को महज विधायक के लिए नहीं, बल्कि भावी मुख्यमंत्री के लिए वोट दिया है। क्षेत्र के लोगों की आशा और आकांक्षा है कि कल्पना सोरेन के सीएम बनने से गाण्डेय का सर्वांगीण विकास होगा।
वर्ष 1977 से अबतक हुए सभी चुनावों में हार-जीत में मुख्य भूमिका मुस्लिम और आदिवासियों की रही है। जिस दिन जेएमएम ने गाण्डेय से कल्पना सोरेन की उम्मीदवारी का ऐलान किया था उसके बाद से ही कल्पना सोरेन की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। लोगों का मानना है कि कल्पना सोरेन का पहला टर्म महज पांच-छह महीनों के लिए ही होगा लेकिन उनसे लोगों को काफी अपेक्षा है।
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन घोटाले में ईडी की कार्रवाई शुरू होने के बाद इसी साल जनवरी के पहले सप्ताह में जेएमएम ने गाण्डेय विस सीट पार्टी विधायक डॉ. सरफराज अहमद से खाली करवाई थी। बाद में झामुमो ने अहमद को राज्यसभा में भेजने का अपना वादा भी पूरा किया।

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