देवघर: उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री विशाल सागर की अध्यक्षता में आज दिनांक 27.09.2023 को पीसी-पीएनडीटी एक्ट- 1994 से संबंधित जिला सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन समाहरणालय सभागार में किया गया। इस दौरान उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गयी कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट के माध्यम से शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है। आगे बैठक के दौरान पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के अन्तर्गत 09 अल्ट्रासाउंड केन्द्र का आवेदन प्राप्त किया गया था, जिसके आलोक में उपायुक्त के निर्देशानुसार सलाहकार समिति के द्वारा कुल 03 अल्ट्रासाउंड केन्द्रों को अनुमति प्रदान की गयी है, जिनमें पार्वती मातृ सदन, एपेक्स डायग्नोस्टिक सेन्टर, मंगल अल्ट्रासाउंड सेन्टर है। साथ ही शेष बचे आवेदनों पर आवश्यकतानुसार दस्तावेजों को समर्पित करने का निदेश दिया गया।
इसके अलावा बैठक के दौरान उपायुक्त श्री विशाल सागर ने सिविल सर्जन को निदेशित करते हुए कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत जिले के सभी अल्ट्रासाउंड के बाहर सिविल सर्जन का नाम, मोबाईल नंबर एवं ईमेल आई डी का उल्लेख करना सुनिश्चित करें, ताकि किसी भी प्रकार का लिंग जांच या पीसीपीएनडीटी अधिनियम का उल्लंघन संबंधित शिकायत व सूचना आसानी प्राप्त हो सके। साथ ही उपायुक्त ने पीसीपीएनडीटी एक्ट अन्तर्गत एक चिकित्सक द्वारा दो अल्ट्रासाउंड क्लिनिक में सेवा प्रदान करने के प्रावधान का दृढ़ता से अनुपालन सुनिश्चित कराने का निदेश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियेां को दिया।
■ क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट….
गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PC&PNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भुण्र हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक (पीसी-पीएनडीटी एक्ट-1994) के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
बैठक में उपरोक्त के अलावा सिविल सर्जन देवघर डॉ० रंजन सिन्हा, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री रवि कुमार, सरकारी अधिवक्ता, सहायक जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री रोहित कुमार विद्यार्थी संबंधित विभाग के अधिकारी, चिकित्सकों की टीम व सदस्य आदि उपस्थित थे।
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