मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक के दौरान नीतिगत दरों को घटाने का फैसला ले सकता है। मुद्रास्फीति कर दर में आई नरमी को देखते हुए आरबीआई नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत तक की कटौती कर सकता है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक आज मंगलवार से शुरू हो रही है। नीतिगत दरों की घोषणा सात फरवरी को होगी। नवंबर 2018 की तुलना में जनवरी महीने में क्रेडिट ग्रोथ की दर में बढ़ोतरी देखी गई है। हाल ही में आरबीआई की ओर से क्रेडिट डेटा की रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अनुसार मौजूदा वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 4.34 लाख करोड़ रुपये का वृद्धिशील क्रेडिट विस्तार हुआ है, जबकि चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2018 को समाप्त तिमाही के दौरान क्रेडिट विस्तार की दर 3.46 लाख करोड़ रुपये रही थी। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी की दर 7.4 फीसदी के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन सीएसओ ने इसे घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा एग्रीकल्चर सेक्टर की वृद्धि दर भी पिछले 10 साल की तुलना में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि औद्योगिक उत्पादन की दर में 7.8 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले साल यह दर 5.5 फीसदी रही थी। अगले सप्ताह से शुरू हो रही मौद्रिक नीतिगत कमेटी की समीक्षा बैठक में आरबीआई की ओर से नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की संभावना जताई जा रही है। रिजर्व बैंक की नीतिगत दर (रेपो) फिलहाल 6.50 प्रतिशत है। रिजर्व बैंक ने 1 अगस्त 2018 की बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, जिससे रेपो रेट 6.50 प्रतिशत हो गया था। इसी दर पर आरबीआई की ओर से बैंकों को एक दिन के लिए उधार दिया जाता है। इस दर के बढ़ने से बैंकों का कर्ज महंगा हो जाता है। अगर रेपो दर में कटौती आती है, तो ब्याज दरों में भी कमी आने की संभावना बढ़ जाती है।
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