रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने परिवहन विभाग की एफएफपी बिल्डिंग स्थित कार्यालय की पूरी संपत्ति को अटैच करने के कॉमर्शियल कोर्ट के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में मेसर्स केएस सॉफ्टनेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को चार सप्ताह में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने कॉमर्शियल कोर्ट के द्वारा परिवहन विभाग की पूरी संपत्ति को अटैच करने के 13 जुलाई एवं 24 नवंबर के आदेश पर रोक लगा दी है। मामले को लेकर परिवहन विभाग द्वारा हाई कोर्ट में दीवानी याचिका दाखिल की गयी थी।
झारखंड सरकार के परिवहन विभाग के धुर्वा स्थित परिवहन विभाग के एफएफपी बिल्डिंग स्थित कार्यालय की पूरी संपत्ति को सिविल कोर्ट रांची के आदेश पर मंगलवार को टीम द्वारा अटैच कर ली गयी थी। संपत्ति को अटैच कॉमर्शियल कोर्ट के आदेश पर किया गया था। अदालत ने यह आदेश मुंबई की कंपनी मेसर्स केएस सॉफ्टनेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल केस की सुनवाई के दौरान पिछले दिनों दिया था।
मेसर्स केएस सॉफ्टनेट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का झारखंड सरकार पर 10 करोड़ 6 लाख 71 हजार रुपये से अधिक का बकाया है। इस राशि पर 15 फीसदी की दर से ब्याज भी भुगतान करना था। कंपनी के साथ परिवहन विभाग झारखंड सरकार ने 2004 में नौ इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने का अनुबंध किया था लेकिन दो साल बीतने के बाद भी कंपनी को केवल पांच स्थानों पर जमीन दी गयी। उस पर भी अलग-अलग विभागों से क्लीयरेंस नहीं दिया गया। 12 अप्रैल, 2013 को जमीन अधिग्रहण और अन्य समस्याओं को देखते हुए राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव द्वारा काम को रोक दिया गया। जब झारखंड सरकार द्वारा बकाया पैसा कंपनी को नहीं दिया गया तब कंपनी के द्वारा कॉमर्शियल कोर्ट रांची में इसी साल केस दायर किया गया था। कोर्ट ने 13 जुलाई को संपत्ति जब्त करने का आदेश पारित किया था।
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