रांची। राजनीति के साथ-साथ सामाजिक कार्यों के प्रति भी हमेशा सजग रहने वाले रक्षा राज्य मंत्री सह रांची के सांसद श्री संजय सेठ ने एक नई पहल की है। श्री सेठ ने आज सर्दियों में जरूरतमंदों के लिए ऊल बैंक खोलने की घोषणा की है। इस निमित्त अपने केंद्रीय कार्यालय में सांसद ने पत्रकार वार्ता की। इससे संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ठंड में एक बड़ी आबादी है, जिसे गर्म कपड़े उपलब्ध नहीं हो पाते। ठंड की ठिठुरन कई बार उनकी जान ले लेती है। ऐसे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, सभी वर्ग के लोग इस समस्या से रूबरू होते हैं। निश्चित रूप से यह समाज की भी जिम्मेदारी बनती है कि उन लोगों को हम ठंड से बचाए। इसी उद्देश्य के साथ रांची में ऊल बैंक आरंभ किया गया है। यह बैंक इसलिए इतनी जल्दी आरंभ किया गया है ताकि सर्दियों के शुरू होते ही जरूरतमंदों तक गर्म कपड़े पहुंच सकें।
श्री सेठ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि रांचीवासियों ने बुक बैंक और टॉय बैंक में मुझे भरपूर सहयोग किया। यही वजह रही कि बुक बैंक के माध्यम से हम 3 लाख से अधिक पुस्तक बांट सके। टॉय बैंक के माध्यम से 70 हजार से अधिक खिलौने का वितरण जरूरतमंद बच्चों के बीच किया। अब समाज से मैं एक बार फिर आग्रह करता हूं कि आप अपनी जिम्मेदारी उन लोगों के लिए भी निभाएं, जिनके पास ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े नहीं होते। केंद्रीय मंत्री ने रांची के नागरिकों से आह्वान किया है कि आपके घर में ऐसे पुराने परंतु अच्छी स्थिति में जो गर्म कपड़े पड़े हैं। जिनका उपयोग आप अपने लिए नहीं करते हैं। उन कपड़ों को साफ सुथरा करके मेरे केंद्रीय कार्यालय में जमा करें। यह कपड़े शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्र के जरूरतमंदों तक पहुंच जाएंगे।
प्रेस वार्ता में केंद्रीय मंत्री में राज्य सरकार को भी आड़े हाथों लिया। लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने यह कहा कि यह कैसा शहर है, जहां पत्रकारों पर भी हमले हो रहे हैं। वकील की हत्या हो रही है। समाज को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी निभाने वाला दरोगा भी सुरक्षित नहीं है। यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि राज्य की सरकार का अपराधियों को खुला संरक्षण प्राप्त है। झामुमो, कांग्रेस और राजद के साथ वामपंथियों के गठबंधन से चल रही है सरकार ने अपराधियों को खुली छूट दे रखी है। इसलिए अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थित है कि जिस राजधानी में मुख्यमंत्री रहते हैं। सरकार के सभी मंत्री रहते हैं। वहां दिनदहाड़े वारदात हो जा रही है। जब दारोगा और वकील सुरक्षित नहीं है तो हम सहज कल्पना कर सकते हैं कि इस राज्य में कौन सुरक्षित है? केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं सरकार को यह बार-बार आगाह करता हूं कि ड्रग्स और नशा बेचने वालों पर लगाम लगाएं। इसका कनेक्शन अपराधिक जगत से भी होता है परंतु सरकार इस मुद्दे पर सिर्फ होर्डिंग बैनर लगाने में रह गई। धरातल पर कोई काम नहीं दिखा। अब तो ऐसा लगता है जैसे रांची के लोग इस जंगलराज और अपराधयुक्त शासन को ही अपनी नियति मान लें। निश्चित रूप से यह व्यवस्था हमें बिहार के जंगल राज की याद दिला रही है।
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