मारुति ने अपनी गाड़ियों में सीसा, पारा जैसी धातुओं के उपयोग को सीमित करना शुरू किया

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने अपनी गाड़ियों में सीसा (लेड) और पारा (मरकरी) जैसे हानिकारक पदार्थों (एसओसी) के उपयोग को सीमित करने का काम शुरू कर दिया है। कंपनी ने सोमवार को यह जानकारी दी। मारुति सुजुकी ने बयान में कहा कि इंटरनेशनल मटेरियल डेटा सिस्टम (आईएमडीएस) का क्रियान्वयन करके कंपनी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को पूरा करने में सक्षम होगी और इससे उसे अपने वाहनों में पुनर्प्राप्त (रीकवरेबल) और फिर से उपयोग हो सकने वाली सामग्री (रीसाइकिलेबल) की मात्रा निर्धारित करने में मदद मिलेगी। कंपनी ने कहा कि उसने हाल ही में पेश हुई वैगनआर में इस तरह की कोशिश शुरू की है और आगे चलकर आने वाले सभी मॉडलों में इसका उपयोग करेगी। मारुति सुजुकी ने कहा कि वैगनआर और आगामी सभी मॉडलों में कम से कम 95 प्रतिशत रीकवरेबल और 85 प्रतिशत रीसाइकिलेबल सामग्री लगी होगी। कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी केनिची आयुकावा ने कहा, “हम अपने वाहनों में जहरीले पदार्थों को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं और खुद से वैश्विक तंत्र में अपनी जगह बना रहे हैं।” उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आईएमडीएस प्रणाली के क्रियान्वयन के साथ कंपनी ईएलवी (इंड ऑफ लाइफ) वाहन नियमों का पालन करने के लिए तैयार हो जाएगी। ईएलवी अनुरूप वाहन का उद्देश्य सीसा, हेक्सावलेंट क्रोमियम, पारा और कैडमियम जैसे अन्य हानिकारक पदार्थों के गाड़ियों में उपयोग को सीमित करना है। इसके अलावा, यह पुन: इस्तेमाल हो सकने वाले और पुन: प्राप्त हो सकने वाले सामग्रियों को बढ़ावा देगा जिनका इस्तेमाल वाहनों के विनिर्माण में किया जा सकेगा।

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