गंभीर हालत में पारस अस्पताल लाए गये 1 दिन के बच्चे को जीवनदान मिला ॥

गंभीर अवस्था में 1 दिन के बच्चे को प्रसवपूर्व हाइड्रोनफ्रोसिस (द्विपक्षीय किडनी) की शिकायत के साथ बिना मूत्र उत्पादन के राँची के पारस एचईसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह एक अनमोल बच्चा था जो आईवीएफ द्वारा पैदा हुआ था । चिंता का विषय था की वह बच्चा समय से 32 सप्ताह पहले परिपक्व हो गया था और उसका वजन केवल 1.6 किलोग्राम था। शहर के किसी भी डेडिकेटेड चिल्ड्रेन हॉस्पिटल सहित रांची में कोई भी अस्पताल (मूत्रविज्ञान या बाल चिकित्सा) उनका प्रबंधन करने में सक्षम नहीं था, क्योंकि उनके पास एक ही छत के नीचे एनआईसीयू देखभाल के साथ-साथ नवजात शिशु विशेषज्ञता उपकरण नहीं थे।

शिशु को डॉ. सौमिक चटर्जी और डॉ. विकास आनंद की संयुक्त देखभाल में भर्ती कराया गया था। सिस्टोस्कोपी और राइट डीजे स्टेंटिंग दूसरे दिन की गई (3 दिन के बच्चे पर इस प्रक्रिया को करना बेहद चुनौतीपूर्ण है) और इसके लिए विशेष नवजात मूत्रविज्ञान उपकरण की आवश्यकता होती है।

अगले दिन एक यूएसजी निर्देशित पीसीएन और एंटेग्रेड स्टेंटिंग की गई।

बच्चे को पेशाब आना शुरू हो गया और उसकी हालत में सुधार हुआ। उनकी किडनी, जो पहले ख़राब चल रही थी, ठीक होने लगी। 10 दिनों के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।

पारस एचईसी अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश कुमार ने बताया की बच्चे की गंभीर अवस्था चिंताजनक थी। लेकिन पारस के अनुभवी और कुशल चिकित्सकों ने यहाँ उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं की सहायता से बच्चे को समस्या से बाहर निकाल दिया है। पारस अस्पताल परिवार मरीज़ों के स्वास्थ्य को लेकर सजग एवं समर्पित है। अस्पताल में मरीज़ों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए हम सदैव उत्कृष्ट सेवा भाव के साथ तत्पर हैं। फिलहाल वह बच्चा स्वस्थ है और 3 महीने का है.

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