रांची। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम आरंभ किया गया है। इसका उद्देश्य देश के सभी जिला अस्पतालों में बीपीएल लाभार्थियों को नि:शुल्क डायलिसिस सेवा उपलब्ध कराना है। इसके माध्यम से किडनी के ऐसे मरीज जो डायलिसिस की राशि का वहन नहीं कर सकते उन्हें नि:शुल्क डायलिसिस कराया जाता है। इस आशय की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने लोकसभा में सोमवार को दी।
लोकसभा में रांची के सांसद संजय सेठ ने यह सवाल पूछा था कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के लक्ष्य और उद्देश्य क्या है? और झारखंड में इस कार्यक्रम को कहां लागू किया गया है। कितने लोगों ने इसका लाभ लिया है। सांसद ने यह भी पूछा था कि इसके लाभार्थियों की संख्या क्या है और योजना के संचालन में झारखंड में सरकार के द्वारा अब तक कितनी राशि खर्च की गई है।
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2020 से पेरीटोनियल डायलिसिस को भी इसमें शामिल किया गया है। वन नेशन वन डायलिसिस कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम का एक पोर्टल भी विकसित किया गया है, जो देश के सभी राज्यों में कार्यशील है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि झारखंड में इस योजना का क्रियान्वयन पीपीपी मोड में किया गया है और राज्य के सभी 24 जिलों में 24 डायलिसिस केंद्र आरंभ किए गए हैं। इन 24 डायलिसिस केंद्रों में 88 हीमोडायलिसिस मशीन के जरिये बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क डायलिसिस उपलब्ध कराया जा रहा है। झारखंड में अब तक 14701 लोगों को मुफ्त डायलिसिस की सुविधा प्रदान की गई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान झारखंड में प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम के तहत तीन करोड़ 24 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। सांसद ने इस योजना के झारखंड में क्रियान्वयन को लेकर भारत सरकार के प्रति आभार जताया और यह भी आग्रह किया कि मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में इसका क्रियान्वयन और बेहतर तरीके से हो सके, इसके लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया जाए।
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