नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए उन्नाव रेप मामले से जुड़े एक्सीडेंट के मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर पर 15 दिनों की रोक लगा दी है। हालांकि अन्य चार मामलों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर यहां सुनवाई होगी। आज दोपहर बाद सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार ने कहा कि एक्सीडेंट केस मामले के अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना है, इसलिए एक्सीडेंट केस को जांच होने तक दिल्ली ट्रांसफर नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की मांग पर सहमति जताते हुए एक्सीडेंट केस को दिल्ली ट्रांसफर करने पर 15 दिनों की रोक लगा दी। उल्लेखनीय है कि एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले के सभी केस दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने 45 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था। आज सुबह पीड़ित की मां ने सुप्रीम कोर्ट में यह बताया कि वह अपनी बेटी का उपचार लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में ही जारी रखना चाहती है। वह उसे उपचार के लिए दिल्ली शिफ्ट नहीं करना चाहती है। अगर जरूरत पड़ी तो दिल्ली शिफ्ट किया जा सकता है। तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमारी चिंता पीड़ित के स्वास्थ्य को लेकर है। अभी लखनऊ में इलाज होने दें। अगर ज़रूरत पड़ती है तो पीड़ित की मां रजिस्ट्री आ कर ट्रांसफर के लिए कह सकती है। हम इस मामले में अगली सुनवाई पांच अगस्त को करेंगे। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीड़ित के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि पीड़ित के चाचा को रायबरेली जेल से तिहाड़ जेल शिफ्ट करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि पीड़ित के परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया कि वह केस की रिपोर्टिंग करते समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पीड़ित के नाम उजागर नहीं करें। दरअसल इस मामले में कोर्ट की मदद कर रहे वकील वी गिरि ने कोर्ट को बताया कि कुछ चैनल पीड़ित के पुराने विजुअल्स दिखा रहे हैं।
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