डॉ.शारदा वंदना
रांची। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। पार्टी के पदाधिकारियों के साथ संगठन की रणनीति पर बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है। सभी दलों के शीर्ष नेताओं की ओर से पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल करने के लिए अंदरूनी विवाद सुलझाकर हर हाल में परफॉर्मेंस पर फोकस करना है। इन सबके बावजूद प्रदेश कांग्रेस में आंतरिक कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद डॉ. अजय के खिलाफ पार्टी के सीनियर नेताओं ने जिस प्रकार की गोलबंदी की और उन्हें हटाने का मुहिम छेड़ दिया था, उसी तरह की गोलबंदी एकबार फिर पार्टी के अंदरखाने चल रही है। रामेश्वर उरांव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बने अभी चंद रोज ही हुए हैं, लेकिन पार्टी के अंदर से जो बातें सामने आ रही हैं उससे ऐसा लग रहा है कि एकबार फिर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में किचकिच होना तय है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्षों की टीम रास नहीं आ रही है। कहा जा रहा है कि टीम में इरफान अंसारी और केशव महतो कमलेश को छोड़कर अन्य लोगों के खिलाफ अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही है। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि संजय पासवान और मानस सिन्हा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना पार्टी के लिए ठीक नहीं है। उनका साफ तौर पर कहना है कि पार्टी में जनाधार वाले कई बड़े और जुझारु नेता हैं लेकिन उनकी अनदेखी की गई। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि राहुल गांधी की सोच है कि यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के नेताओं को कांग्रेस पार्टी में प्रमुखता से जगह मिलनी चाहिए। राहुल गांधी की यह सोच नहीं है कि केवल एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस के प्रदेश के अध्यक्ष को ही कांग्रेस पार्टी में प्रमुख जगह मिलना चाहिए। ऐसे लोग भी हैं, जो अध्यक्ष किसी कारणवश नहीं बन सके लेकिन उनका जनाधार काफी है और उनकी जमात की आबादी भी है। ऐसे लोगों को भी प्रमुखता देने की बात कही गई है लेकिन कांग्रेस पार्टी में उन लोगों को प्रमुखता दी जाती है जो प्रभारी के करीबी होते हैं, चाहे वह जितने भी जनाधार वाले हों या उनकी जाति का जितना भी वोट हो। प्रभारी की तारीफदारी सबसे बड़ा मेरिट है। सूत्रों के मुताबिक जिस प्रकार से डॉ. अजय को हटाकर आनन-फानन में एक अध्यक्ष और पांच कार्यकारी अध्यक्षों की टीम बनाकर सियासी समीकरण साधने करने का फॉर्मूला तैयार किया गया है, वह उल्टा भी पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि डॉ. अजय के अध्यक्ष बनने के बाद जिन पांच लोगों को जोनल को-ऑर्डिनेटर बनाया गया था, उनमें से चार सदस्यों में भी नई टीम को लेकर भारी रोष है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि जिस संजय पासवान को दलितों को पार्टी से जोड़ने की कमान सौंपी गई है, उसपर पार्टी के अंदर ही कई दलित नेताओं को गहरी आपत्ति है। उनका कहना है कि संजय पासवान ने कभी भी दलित हित में कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया है। दलितों के बीच उनकी पकड़ नहीं है। इसके साथ ही मानस सिन्हा जिस जमात से आते हैं उसका वोट बैंक राज्य में कितना है, यह सभी जानते हैं तो फिर किस आधार पर उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। विधानसभा चुनाव से पहले जहां एक ओर कांग्रेस आलाकमान सूबे में नई टीम बनाकर प्रदेश नेताओं को सत्ताधारी भाजपा से लोहा लेने की बात कह रहा है वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर असमंजस की स्थिति बन गई है और खेमेबाजी शुरू हो गई है। इसका खामियाजा पार्टी को आगामी चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
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