बच्चे के कमरे की आती है तो हम लोग ढील बरत देते हैं, लेकिन बच्चे के कमरे पर भी ध्यान देना उतना ही जरूरी है, जितना बाकी घर पर। कमरे की सजावट करते समय छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है क्योंकि यहीं वह जगह है, जहां से उसके सपनों को नई उड़ान मिलती है। वह अपने कमरे से ही शैतानियों के साथ-साथ नए-नए कामों की प्लानिंग करता है। यहीं से उसकी अलग पर्सनैलिटी विकसित होनी शुरू होती है। क्लरफुल दीवारें:- बच्चे के कमरे की दीवारें खूबसूरत रंगों…
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बालकथा: बेबी माने अप्पी
-जाकिर अली- उसने धीरे से क्लासरूम के अंदर झांका, यह देखने के लिए कि वहां कोई बिल्ली तो नहीं है। दरअसल, वह बिल्ली से बहुत डरती है न, इसलिए। पर अंदर का दृश्य देखकर उसे स्वयं पर हंसी आ गयी। वहां तो उसी के जैसे छोटे-छोटे बच्चे बैठे थे। भला क्लासरूम में बिल्ली कहां से आएगी? वह तो फालतू में ही डर रही थी। भाईजान ठीक ही कहते हैं- लल्ली बहुत डरपोक है। अचानक क्लास में बैठे सभी बच्चे जोर-जोर से चिल्लाने लगे। लल्ली का ध्यान भंग हो गया। उसे…
Read Moreजाने कैसी हो बच्चों की परवरिश….
आपके बच्चे बड़े होकर कैसे इंसान बनेंगे, यह आपके अभी के व्यवहार पर निर्भर करता है। उनके साथ आपके रिश्ते की नींव मजबूत होगी तो समझिए उनकी परवरिश भी आसान हो जाएगी। कैसे अपने परवरिश की नींव करें मजबूत। अपने बच्चे के लिए हम सब बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं। पर, यह सपना सच हो, इसके लिए जरूरी है कि हमारा बच्चों के साथ रिश्ता बेहतरीन हो। हम उनसे और वो हमसे दिल की बातें आसानी से कह सकें। वो हमसे खुलकर अपनी गलती बता सकें तो हम उन्हें…
Read Moreबंदर की समझदारी (बाल कहानी)
दूर नदी के किनारे एक बड़ा सा जामुन का पेड़ हुआ करता था। उसी पेड़ पर एक नटखट बंदर भी रहता था। उसी नदी में नीचे एक मगरमच्छि अपनी बीवी के साथ रहता था। धीरे धीरे दोनों में दोस्ती होती चली गई। दोनों में मिलना जुलना होने लगा। अब भई बंदर था बड़ा ही सयाना वो अपनी दोस्ती निभाने के लिए कुछ भी कर सकता था। जिस पेड़ पर नन्दू रहता था वो जामुन का पेड़ था। उसने सोचा क्यों न बिल्लू को भी जामुनों का स्वाद चखाया जाएं। नन्दू…
Read Moreबीरबल की खिचड़ी
एक दफा शहंशाह अकबर ने घोषणा की कि यदि कोई व्यक्ति सर्दी के मौसम में नर्मदा नदी के ठंडे पानी में घुटनों तक डूबा रह कर सारी रात गुजार देगा उसे भारी भरकम तोहफे से पुरस्कृत किया जाएगा। एक गरीब धोबी ने अपनी गरीबी दूर करने की खातिर हिम्मत की और सारी रात नदी में घुटने पानी में ठिठुरते बिताई और जहांपनाह से अपना ईनाम लेने पहुंचा। बादशाह अकबर ने उससे पूछा – तुम कैसे सारी रात बिना सोए, खड़े-खड़े ही नदी में रात बिताए? तुम्हारे पास क्या सबूत है?…
Read Moreशरारती राजू (बाल कहानी)
-अरुण कुमार जैमिनि- एक दिन राजू ने कक्षा में साथ पढ़ने वाले श्याम की कॉपी छिपा दी। मास्टरजी को कॉपी न दिखा पाने के कारण उसकी पिटाई हो गई। राजू यह सब देखकर बहुत खुश हुआ। मास्टरजी के चले जाने के बाद उसने चुपचाप कॉपी श्याम के बस्ते में रख दी। श्याम ने उसे ऐसा करते हुए देख लिया राजू अस्पताल में बिस्तर पर लेटा हुआ, अपनी शरारतों के बारे में सोच-सोचकर शर्मिदा हो रहा था। उसने किस-किसको परेशान नहीं किया। चाहे पड़ोस में रहने वाली राधा चाची हों या…
Read Moreअंतरिक्ष की बहन (बाल कहानी)
अंतरिक्ष के पास एक नीले रंग की शार्क थी। कई बार जब वह सोता तो उसका तकिया बना लेता। सब हंसते कि शार्क का तकिया किसी ने सुना है। मम्मी ने उसका नाम रखा था-ब्यूटी। जब अंतरिक्ष किसी चीज को खाने से ना-नुकुर करता तो मम्मी कहतीं, देखो ब्यूटी कितनी अच्छी है। वह तो किसी चीज को खाने से मना नहीं करती। या वह कहतीं, चलो मैं सब कुछ ब्यूटी को खिला दूंगी। फिर वह मेरी बेटी हो जाएगी। मैं उसे तुम से भी ज्यादा प्यार किया करूंगी। चाहे ब्यूटी…
Read Moreआंटी की सीख
नौवीं क्लास में आने के बाद मुझे आने वाले बोर्ड एग्जाम के बारे में सोचकर बहुत डर लगता था। इसके पहले सभी क्लास में अच्छे नंबरों से पास हुई थी। अभी तक मैं साइंस की एक किताब ही पढ़ती थी, लेकिन अब तीन किताबें पढ़नी थीं। सामाजिक विज्ञान की तो चार किताबें थीं। मैं पढ़ने बैठती तो मुझे रुलाई आ जाती। मुझे गणित से चिढ़ होने लगी। मैं हर समय दुखी रहती थी। एक दिन मेरे अंकल-आंटी, जो कि मुझसे बहुत प्यार करते हैं, मेरे घर आए। उन्होंने मेरे दुखी…
Read Moreरेत अलग चीनी अलग
बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, तभी एक दरबारी हाथ में शीशे का एक मर्तबान(बर्तन) लिए वहां आया। क्या है इस मर्तबान में? बादशाह ने पूछा। वह बोला, इसमें रेत और चीनी है। वह किसलिए? अकबर ने फिर पूछा। माफी चाहता हूं हुजूर, हम बीरबल की काबिलियत को परखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वह रेत से चीनी का दाना-दाना अलग करके दिखाए दरबारी बोला। बादशाह अब बीरबल की तरफ देखकर बोले, देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है।…
Read Moreप्रेरक कहानी: बाज का निर्णय
बाज लगभग 70 वर्ष जीता है, परंतु अपने जीवन के 40वें वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं – 1. पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है व शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। 2. चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। 3. पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं, उड़ानें सीमित कर…
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