संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने की आगामी नौ जुलाई को हड़ताल की घोषणा

Ranchi: 4 जुलाई 2025 को रांची में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त किसान मोर्चा एवं ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी, किसान विरोधी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आगामी 9 जुलाई 2025 को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को लेकर अपनी योजनाओं और मांगों को सार्वजनिक किया।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि केंद्र सरकार मजदूरविरोधी चार श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू करने की कोशिशों में लगातार तेज़ी ला रही है। यह संहिताएं न केवल स्थायी रोज़गार को खत्म करती हैं, बल्कि ट्रेड यूनियन के अधिकारों, हड़ताल के अधिकार और सामाजिक सुरक्षा को भी छीनने की साजिश हैं।
हड़ताल को 17 सूत्री मांगों के साथ आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख माँगें हैं: चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए, सभी मज़दूरों के लिए ₹26000 न्यूनतम वेतन और ₹9000 न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो, पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए, महंगाई पर रोक लगे, आवश्यक वस्तुओं से GST हटे, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए, यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकारों का सम्मान हो, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पानी जैसी ज़रूरतों की सार्वजनिक गारंटी हो।
बिजली का निजीकरण रोको, स्मार्ट मीटर बंद करो, किसानों को फसल पर MSP की गारंटी की जाए, वन अधिकार कानून में जनविरोधी संशोधन रद्द करो , तैयारी की विस्तृत समीक्षा, प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि 18 जून तक सभी संगठनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में संयुक्त रूप से हड़ताल नोटिस दिए। 22 जून तक रांची, बोकारो, धनबाद, कोडरमा, रामगढ़, हजारीबाग, जामताड़ा, देवघर, दुमका और कोल्हान क्षेत्रों में जिला सम्मेलन संपन्न कर संयुक्त कार्यान्वयन समितियों का गठन कर लिया गया है।
23 जून से 7 जुलाई तक नुक्कड़ सभाएं, कॉलोनियों और बस्तियों में जनसंपर्क, बाइक/साइकिल/जीप प्रचार यात्राएं आयोजित की जा रही हैं।
30 जून, हूल दिवस को श्रमिक संगठनों ने सिद्धू-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रम कोड की प्रतियां जलाईं, जो प्रतीकात्मक प्रतिरोध का हिस्सा था।
8 जुलाई को मशाल जुलूस और 9 जुलाई को राज्य और ज़िला मुख्यालयों पर प्रतीकात्मक पुतला दहन एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क जाम की योजना है।
गैर-संगठित और असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को इस हड़ताल से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। संयुक्त मंच ने स्पष्ट किया कि यह हड़ताल सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं, बल्कि लंबे संघर्ष की शुरुआत है। मजदूर वर्ग अब पीछे नहीं हटेगा — संविधान, अधिकार और रोटी की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है।
प्रेस वार्ता को एक्टू के शुभेंदु सेन, एटक के अशोक यादव, संतोष रजक, सीटू के अनिर्बान बोस, प्रतीक मिश्रा, एस के राय, बेफी के एम एल सिंह, किसान सभा के सुफल महतो, प्रफुल लिंडा, अजय सिंह ने संबोधित किया।

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