Karama Puja 2021 : बिहार और झारखंड में क्‍यों की जाती है करमा पूजा, जानें भाई-बहन के पवित्र पर्व के बारे में

बिहार और झारखंड में आज 17 सितम्बर को करमा पर्व प्रमुखता से मनाया जा रहा है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को हर साल यह पर्व मनाया जाता है.

रांची : करमा पर्व 2021 (Karam Puja 2021) : बिहार और झारखंड में आज करमा पर्व प्रमुखता से मनाया जा रहा है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को हर साल यह पर्व मनाया जाता है. भाई-बहन के स्नेह और प्रेम की निशानी के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व अगले 3 दिन तक चलेगा. महिलाएं निर्जला उपवास कर और शाम को आंगन में करम पौधे की डाली गाड़कर पूजा करेंगी. क्‍या आपको पता है करमा पर्व क्‍या है और क्‍यों मनाया जाता है? आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा:

करमा और धरमा की पौराणिक कथा
कहा जाता है कि कर्मा और धर्मा नामक दो भाइयों ने अपनी बहन की रक्षा के लिए जान को दांव पर लगा दिया था. दोनों भाई गरीब थे और उनकी बहन भगवान से हमेशा सुख-समृद्धि की कामना करते हुए तप करती थी. बहन के तप के बल पर ही दोनों भाइयों के घर में सुख-समृद्धि आई थी. इस एहसान के फलस्‍वरूप दोनों भाइयों ने दुश्मनों से बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दी थी. इसी के बाद से इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई.

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इसके अलावा इस पर्व से जुड़ी एक और कहानी है. एक बार कर्मा परदेस गया और वहीं जाकर व्यापार में रम गया. बहुत दिनों बाद जब वह घर लौटा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई धर्मा करमडाली की पूजा में लीन है. धर्मा ने बड़े भाई के लौटने पर कोई खुशी नहीं जताई और पूजा में ही लीन रहा. इस पर कर्मा गुस्‍सा गया और पूजा के सामान को फेंककर झगड़ा करने लगा. धर्मा चुपचाप सहता रहा. वक्त के साथ कर्मा की सुख-समृद्धि खत्म हो गई. आखिरकार धर्मा को दया आ गई और उसने अपनी बहन के साथ देवता से प्रार्थना की कि भाई को क्षमा कर दिया जाए. एक रात कर्मा को देवता ने स्वप्न में करमडाली की पूजा करने को कहा. कर्मा ने वहीं किया और सुख-समृद्धि लौट आई.

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