उन्नाव रेपकांड: सेंगर की सजा की अवधि पर सुनवाई 20 दिसंबर को

नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सजा की अवधि पर सुनवाई टाल दी है ।  मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। आज सीबीआई की ओर से मांग की गई कि कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा दी जाए।

 मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से वकील अशोक भारतेन्दु ने कुलदीप सिंह सेंगर के लिए अधिकतम सजा की मांग की। उन्होंने श्याम नारायण बनाम दिल्ली सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि दोषी को दया दिखाने की कोई जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मामला एक व्यक्ति के सिस्टम के खिलाफ लड़ने का है।

सीबीआई ने रेप पीड़िता को मुआवजे दिए जाने की भी मांग की। सीबीआई ने कहा कि कोर्ट कुलदीप सेंगर की वित्तीय स्थिति देख सकती है। तब कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है। उ.प्र. सरकार ने ये रकम उसे पहले ही दे रखी है। क्या आपको लगता है कि और मुआवजे की जरुरत है। तब सीबीआई ने कहा कि मुआवजा जरुर मिलना चाहिए।

सेंगर की तरफ से वकील तनवीर मीर ने सेंगर की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि वे चार बार विधायक रहे हैं। उन्होंने आम लोगों के लिए काफी काम किया है। तनवीर मीर ने महमूद दाऊद शेख बनाम गुजरात सरकार के केस का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट को समाज के लिए उनके किए हुए काम को देखना चाहिए और न्यूनतम सजा देनी चाहिए। मीर ने कहा कि तिहाड़ जेल में सेंगर का आचरण काफी अच्छा रहा है। मीर ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 357 (3) का हवाला देते हुए कहा कि अगर जुर्माना लगाया जाता है तो मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए। तब कोर्ट ने कहा कि कोई भी मुआवजे की राशि पीड़िता को हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती है। कोर्ट ने सेंगर की वित्तीय स्थिति जानने के लिए सेंगर के चुनाव के दौरान के नामांकन पत्रों को देखने की बात की। उसके बाद कोर्ट ने इस पर 20 दिसंबर तक के लिए सुनवाई टाल दिया।

आज दिल्ली पुलिस ने कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट में पेश किया था। पिछले 16 दिसंबर को कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को अपहरण और रेप के मामले में दोषी करार दिया गया था। कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में वो सारी मजबूरियां और लाचारियां हैं जो दूरदराज में रहने वाली ग्रामीण महिलाओं के सामने अक्सर आती हैं। जिनसे जूझकर लडकियां और महिलाएं डर और शर्म से अपना नारकीय जीवन काटती हैं।

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