ट्रंप-किम की बेनतीजा मुलाकातें से विश्व खतरे की ओर…

-योगेश कुमार सोनी-

विगत दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोलानड ट्रंप की ओर से लगातार समझाने व मनाने के बाद भी किम जोन की ओर से किसी भी प्रकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया नही आ रही। हनोई में हुई किम-ट्रंप की शिखर वार्ता के बाद अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों का मोह नहीं छोड़ता है तो वह आर्थिक रूप से पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। परमाणु हथियारों को खत्मय करने के अलावा उसके पास और दूसरा कोई विकल्प नहीं है। यह मुलाकात भी बेनतीजा ही साबित हुई थी। इस मुलाकात के बाद विश्व में एक चिंता का माहौल बना हुआ है। इस वार्ता में किम चाहता था कि अमेरिका उनके देश पर लगे सभी प्रतिबंधों को वापस ले ले, लेकिन अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं था। डोनाल्डम ट्रंप वार्ता की गंभीरता को समझते हुए पहले ही भांप गए थे कि यहां किसी प्रकार का कोई निष्कर्ष नही निकलने वाला इसलिए वार्ता के बीच में ही निकल गए। ये बेहद आश्चर्यचकित करने वाली थी कि इतना सबकुछ होने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किम की जमकर प्रशंसा की व वार्ता को अच्छा बताया। आपको ज्ञात हो कि पिछले साल विश्व के सबसे प्रभावशाली नेताओं के बीच हुई सिंगापुर वार्ता के बाद यह दूसरा मौका था जब यह दोनों नेता अहम मामलें के लिए एक साथ दिखाई दिए। दुनिया के सभी देशों की निगाहें इन दोनों नेताओं पर थीं व हर किसी को बस यह लग रहा था इस बार तो कोई निर्णायक स्थिति बन जाएगी, लेकिन फिर से सब शून्य दिखा। लेकिन ट्रंप ने बड़ा दिल रखते हुए उत्तर कोरिया की वह बात जरूर मान ली जिसको लेकर किम काफी समय से परेशान थे। दरअसल, उत्तर कोरिया के साथ संबंध बेहतर करने के लिए अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के साथ हर वर्ष होने वाले सैन्य अभ्यास को न करने का फैसला ले लिया है। यह अभ्यास हर वर्ष किया जाता था। हर वर्ष इस अभ्यास में दोनों देशों के लाखों सैनिक हिस्सा लेते हैं। किम को खुश करने के लिए व आगे भी संबंध बनाए रखने के लिए या यूं कहें कि वार्तालाप के लिए गुंजाइश बरकरार रखने के लिए कुछ बातें ट्रंप ने मानी। किम बार-बार इस सैन्यल अभ्याास को अपने खिलाफ हमले की तैयारी की संज्ञा देते आए हैं। पिछले वर्ष भी सिंगापुर वार्ता के बाद किम ने खुलकर कहा था कि यदि इस तरह के सैन्यी अभ्याएस बंद नहीं किए गए तो वह भी परमाणु हथियारों के विकल्पक को बंद नहीं करेंगे। जहां तक हनोई शिखर वार्ता की बात है तो भले ही यह किसी समझौते पर नहीं पहुंच सकी, लेकिन दोनों नेताओं ने वार्ता जारी रखने पर सहमति जताकर यह साफ कर दिया कि शांति के रास्तें बंद नहीं हुए हैं। पिछले साल सिंगापुर में हुई शिखर वार्ता के बाद से ही अमेरिका और सियोल ने कई संयुक्त सैन्य अभ्यास के स्तर को कम किया है या उन्हें बंद किया है। अमेरिकी बम उडाने वाले रॉकेट भी अब दक्षिण कोरिया पर उड़ान नहीं भर रहे हैं। दक्षिण कोरिया में अमेरिका के करीब 29000 अमेरिकी सैनिक तैनात रहते है, जिन्हें वापस बुलाने से ट्रंप ने इनकार कर दिया है। ये सैनिक उसके परमाणु सम्पन्न पड़ोसी देश से बचाने के लिए वहां तैनात किया गया है। इसके अलावा अमेरिका की थाड़ मिसाइल सिस्टुम भी उत्तर कोरिया में तैयार है। इस मामलें पर अमेरिका व चीन कई बार आपत्ति जता चुके। यदि जिस तरह साउथ कोरिया अपनी जिद पर अड़ा रहा तो निश्चित तौर पर दुनिया का भविष्य खतरें मे हैं। अमेरिका देश में एक विश्व शक्ति के रुप में जाना जाता है यदि किम जोंग इसकी बात नही मान रहा तो आप यह समझ लिजिए कि फिर तो शायद ही किसी बात मानेगा। आपको पता होना चाहिए कि किसी भी देश में यदि कोई भी ऐसा कार्य होता है जिससे अन्य देश खुश या संतुष्ट न हों तो वह देश इंटरनेशनल प्रैशर के अधीन वह कार्य रोक लेता है। लेकिन पुरी दुनिया में सनकी के नाम से जाना जाने वाला तानाशाह किम जोंग किसी की सुनने को राज़ी नही है। यदि इसके फॉर्मेट को बाकी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री कॉपी करने लगे तो निश्चित तौर पर देश की तबाही तय है। इस तानाशाह ने अपना एक टॉर्चर रुम बना रखा है जिसमें उसकी मर्जी के खिलाफ काम करने वालों को वह इस तरह की यातनाएं देता है जिसके बारे में कभी सोचा भी नही होगा। हर रात वहां बत्तियां बुझने के बाद हर कमरे से चीखें निकलती है जिससे वहां कैद होना वाला हर कोई जिंदगी की नही मौत की भीख मांगता है। हालांकि इस शैतान की जीवन शैली से पूरी दुनिया वाकिफ है लेकिन फिर आपको इससे जुड़े कुछ मुद्दे को बताने की जरुरत इसलिए है क्योंकि यह व्यक्ति बेहद बेरहम हैं। यदि इस दिमाग सनक गया तो यह परमाणु बम से पूरी दुनिया को तबाह करने में बिल्कुल भी संकोच नही करेगा। ऐसे व्यक्ति को नियंत्रण करने के लिए सभी देशों को बड़े स्तर पर एक टीम गठित करके अंजाम देना चाहिए। किम जोंग अपने देश के लिए तो नासूर बन चुका है लेकिन दुनिया के लिए कांटे का काम कर रहा है जो रोजाना चुभ रहा है। इसे अपने देश के आर्थिक संकट या भविष्य की कतई कोई परवाह नही हैं। इसको बस तानाशाही के सिवाय कुछ नही आता लेकिन कहते हैं न कि किसी भी चीज की अति बुरी होती कुछ इसी तर्ज पर इसकी जीवन शैली भी हो चुकी। बहुत जल्दी यह भी अपने अंत की ओर अग्रसर होता जा रहा है इसलिए समय रहते किम जोन के विश्व की भलाई के लिए अपनी ठट छोड़ देनी चाहिए।

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