आपात चिकित्सा क्षेत्र में ‘प्रैक्टिस के लाइसेंस’ की अनुमति का मुद्दा सरकार के समक्ष उठाएंगे : नायडू

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत में सड़क हादसों और अन्य आपदाओं में मानव जीवन के बढ़ते नुकसान के मद्देनजर स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र में ‘आपात चिकित्सा’ के प्रशिक्षित लोगों को ‘प्रैक्टिस का लाइसेंस‘ देने की भारत में भी व्यवस्था हो, इस बारे मे वह स्वास्थ्य मंत्रालय से विचार विमर्श करेंगे। नायडू ने गुरुवार को आपात चिकित्सा (इमरजेंसी मेडीसिन) पर आयोजित एशियाई देशों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा “भारत जैसे देशों मे जहां आधी से अधिक आबादी गांव में रहती है और हादसों में असमय मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही हो, वहां हर गांव में आपात चिकित्सा क्षेत्र में प्रशिक्षित कम से कम एक चिकित्सक का होना जरूरी है।

इस सम्मेलन का आयोजन करने वाली संस्था एशिया आपात चिकित्सा संघ की भारत इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष डाक्टर बी हरिप्रसाद ने कहा कि भारत में आपात चिकित्सा क्षेत्र को चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण की मान्यता दी जा चुकी है, इसके बावजूद प्रशिक्षित डाक्टरों को प्रैक्टिस का लाईसेंस नहीं दिया जाता है। प्रसाद ने कहा कि भारत के प्रशिक्षित डाक्टर ब्रिटेन सहित अन्य देशों मे प्रैक्टिस का लाईसेंस हासिल कर अपनी सेवाएं देते हैं लेकिन भारत इन सेवाओं से वंचित है। नायडू ने इस विषय पर स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विचार विमर्श करने का भरोसा दिलाया।

नायडू ने चिकित्सा पद्धति को प्रकृति के अनुरूप बनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक जीवन शैली ने प्रकृति से साहचर्य का भाव कम किया है, इस कारण से तमाम बीमारियां जीवन शैली में बदलाव के कारण हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जीवनशैली में बदलाव के कारण होने वाले रोगों से बचाव के लिए प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली बनाने के लिये लोगों को जागरुक करने की जरूरत है।

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