रांची। झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के जिला स्तरीय प्रबंधकों के लिए ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्सआईएसएस) के ग्रामीण प्रबंधन कार्यक्रम द्वारा 11-13 अप्रैल 2022 तक “प्रभावी नेतृत्व और टीम प्रबंधन” पर तीन-दिवसीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम संस्थान परिसर में फादर माइकल वैन डेन बोगार्ट एसजे मेमोरियल ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। कार्य्रकम का सञ्चालन डॉ राज श्री वर्मा ने किया जिसमें झारखंड के विभिन्न जिलों से 29 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
डॉ जोसफ मारियानुस कुजुर एसजे, निदेशक, एक्सआईएसएस ने अपने स्वागत भाषण में किसी भी संगठन के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के महत्व पर जोर दिया और कहा, “इस महत्वपूर्ण कार्यशाला के आयोजन का स्थान एक ऐसे दूरदर्शी और महान व्यक्तिव के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने असफलता को अपने ऊपर ले लिया लेकिन सफलताओं को अपने सहयोगियों के साथ साझा किया। इस 3-दिवसीय कार्यशाला का डिजाइन एक सैद्धांतिक और वैचारिक स्पष्टता के साथ अच्छी तरह से संतुलित है ताकि प्रत्येक जिला प्रबंधक को राष्ट्र निर्माण में भागीदारी देने के लिए सक्षम बनाया जा सके।
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पहले दिन की शुरुआत में डॉ हिमाद्री सिन्हा, कार्यक्रम प्रमुख, ग्रामीण प्रबंधन ने लक्षित समूहों के दिमाग में नेतृत्व की मूल बातों पर अपने विचार साझा किए। इस एमडीपी के समन्वयक डॉ निरंजन साहू, एसोसिएट प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने कार्यक्रम के महत्व, संदर्भ और उद्देश्यों को प्रस्तुत किया और नेतृत्व में विभिन्न चुनौतियों और एक संगठन में आवश्यक नेतृत्व की अनिवार्यता के बारे में बात की। आईआईएम-रांची की प्रोफेसर शिल्पी ए दासगुप्ता ने सत्र में एक संगठन में एक टीम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए सुनने के कौशल के महत्व के बारे में बताया और प्रशिक्षुओं को सुनने के महत्व को समझाने के लिए एक गतिविधि में शामिल भी किया। डॉ अशोक ओहोल एसजे, सहायक प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने प्रशिक्षण के सहभागी दृष्टिकोण पर जोर देते हुए तर्क दिया कि “संगठन में सामूहिक रूप से बदलाव के लिए हर कोई जिम्मेदार है”।
दूसरे दिन, डॉ अमर इ. तिग्गा, प्रोफेसर एंड डीन, एक्सआईएसएस, ने बदलाव के प्रबंधन की संकल्पना के बारे में बताते हुए कहा की बदलाव सकारात्मक और नकरात्मक दोनो ही हो सकती है, पर एक योजना बना कर किसी बदलाव को लागू करना चाहिए ताकि उसका असर प्रभावी हो। डॉ के. एम. स्प्रिंग, एसोसिएट प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने लोगों के मन में छिपी मानवीय क्षमताओं और संगठन में निर्णय लेने के लिए इन्हें तलाशने की जरूरत पर जोर दिया। प्रो प्रणब कुमार, बीआईटी मेसरा, रांची ने जेएसएलपीएस में संघर्ष प्रबंधन और पारस्परिक संबंध बनाने के तरीकों के बारे में बात की। डॉ के.के. भगत, प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने लक्षित दर्शकों को प्रेरित किया और पेशेवर अखंडता पर विचारों को विकसित किया जो संगठनात्मक प्रबंधन में अनिवार्य हैं।
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तीसरे दिन की शुरुआत में प्रो मैरी बोदरा, एसोसिएट प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने संगठनात्मक परिवर्तन पर बात की और तर्क दिया कि लीडर्स के पास केवल संगठनात्मक परिवर्तन लाने के विचार हैं। डॉ अनंत कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने विकास क्षेत्रों के संदर्भ में नेतृत्व में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगों पर एक सत्र में काम किया। डॉ राज श्री वर्मा, सहायक प्रोफेसर, एक्सआईएसएस ने संगठन के सुचारू कामकाज के लिए आवश्यक विभिन्न संचार कौशल और अन्य सॉफ्ट स्किल सेट और तकनीकों के अनुप्रयोग के बारे में चर्चा की। केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान, कांके के डॉ निशांत गोयल ने प्रतिभागियों को भावनात्मक और बौधिक लब्धि के बारे में बताया जो नेतृत्व स्तर पर बहुत प्रासंगिक क्षेत्र हैं।
3-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम लक्ष्य समूह की उच्च आशाओं और आकांक्षाओं के साथ संपन्न हुआ। डॉ जोसफ मारियानुस कुजुर एसजे, निदेशक, एक्सआईएसएस; डॉ प्रदीप केरकेट्टा एसजे, सहायक निदेशक, एक्सआईएसएस; डॉ अमर ई. तिग्गा, डीन अकादमिक; डॉ हिमाद्री सिन्हा और जेएसएलपीएस के मुख्य परिचालन अधिकारी श्री बिष्णु सीएच परिदा ने समापन सत्र के दौरान अपनी उपस्थिति से प्रतिभागियों को प्रेरित किया। एक्सआईएसएस के ग्रामीण प्रबंध और जेएसएलपीएस के द्वारा दूसरी बार यह विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया।
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