भाजपा के सहयोगी दलों के बीच अबतक सीटों का तालमेल नहीं

रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के सहयोगी दलों में सीटों को लेकर अबतक सहमति नहीं बन पायी है। इसके कारण पार्टियों में उहापोह की स्थिति है। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से भाजपा की सहयोगी रही आजसू इसबार पिछली बार की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। जबकि लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी इसबार कम से कम तीन सीटों पर अपनी दावेदारी कर रही है।

वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी आजसू आठ सीटों पर तथा लोजपा एक सीट पर चुनाव लड़ी थी। जबकि भाजपा ने 72 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा किया था। इसबार आजसू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तहत कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। जबकि भाजपा उसे नौ सीटे देने को तैयार है। आजसू सूत्रों ने बताया कि पार्टी डबल डिजिट से कम पर इसबार चुनाव नहीं लड़ेगी। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं और वह आजसू को दस सीटें देने को तैयार नहीं है। इसे लेकर दोनों दलों के बीच मामला फंस गया है।

भाजपा की एक अन्य सहयोगी लोकजशक्ति पार्टी भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र प्रधान को जनमुंडी से चुनाव लड़ाना चाहती है। पिछले महीने जरमुंडी में लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक बड़ी सभा कर विरेन्द्र प्रधान को जरमुंडी से उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके अलावा चिराग पासवान ने हुसैनाबाद और बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में भी पार्टी के लिए एक बड़ी सभा का आयोजन कर चुनाव लड़ने की बात कही थी।

लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद चिराग पासवान ने भाजपा के झारखंड प्रभारी और राज्यसभा सांसद ओपी माथुर से भी गठबंधन को लेकर मुलाकात कर उनसे लोजपा के लिए सीटें छोड़ने का अनुरोध किया। चिराग पासवान ने ओपी माथुर से कहा कि पार्टी की राज्य इकाई 37 सीटों पर चुनाव लड़ने का आमादा है। भाजपा अगर लोजपा के लिए जरमुंडी सीट नहीं छोड़ती है, तो पार्टी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी। उन्होंने कहा कि लोजपा का देशभर में जनाधार है। पार्टी केन्द्र व बिहार में राजग का अंग है इसलिए लोजपा झारखंड में भी भाजपा के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ना चाहती है। चिराग पासवान ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय मांगा है।

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