विलासिता और पारंपारिकता का अद्भुत संगम है फोर्ट जाधवगढ़

मध्यप्रदेश से लगे महाराष्ट्र में कई ऐतिहासिक अनुभव छुपे हैं जिन्हें एक बार तो आजमाना बनता है। ऐसी जगहों की लंबी लिस्ट में एक चमकता नाम है फोर्ट जाधवगढ़ का। इस किले की कमियों को दूर करके इसे महाराष्ट्र की पहली हेरिटेज होटल बनाया गया था। यह किला पुणे के पास है, यानी इंदौर से लगभग 600 किलोमीटर दूर। यह सफर आसानी से दिनभर में कार से ही तय किया जा सकता है। मुंबई से यह सफर लगभग चार घंटे का है। 25 एकड में फैली इस प्रॉपर्टी में तमाम सुुख-सुविधाएं मौजूद है और यहां चैन के कुछ दिन बिताए जा सकते हैं। इसे तैयार भी इस तरह से किया गया है कि आऊटडोर एक्टिविटीज, डेस्टिनेशन वेडिंग और परफॉर्मेंसेस के लिए यह आदर्श ठिकाना साबित होता है।

शाही स्वागत

फोर्ट में जब आप पहुंचते हैं तो ऐसे स्वागत होता है जैसे कोई मराठा किंग जंग जीतकर लौटा हो। तुतरी की आवाजें आपके कान में दूर से ही आने लग जाती हैं। ट्रेडिशनली तैयार महिलाएं तिलक करती हैं और आपको आपकी जगह तक लेकर जाती हैं। इस दौरान आप देख सकते हैं कि यह किला नए जमाने की विलासिता और पारंपारिकता का अद्भुत संगम है। यहां आपको टच स्क्रिन स्विचेस भी दिख जाएंगे और पथरिले गलियारे भी। मराठी लिबास पहने मौजूद स्टाफ के अलावा वाय-फाय कनेक्टिविटी, लक्जरी स्पा और भी तमाम सुविधाएं यहां मिल जाएंगी। यह किला 1710 में बना था। वक्त के साथ यह नक्शे से भी गायब हो गया लेकिन 2007 में इसे यह नया रंग रूप दिया गया।

लक्जरी

इस किले में पचास से ज्यादा कमरे मौजूद हैं। इनमें सिग्नेचर सुईट, डिलक्स रूम, रॉयल टेंट्स और नीम कॉटेजेस शामिल हैं। तीन सौ साल पुरानी जलकुंभी अब स्वीमिंग पूल का रूप ले चुकी है। पूल से लगा स्पा में आप रिलेक्सिंग वेलनेस ट्रीटमेंट्स ले सकते हैं। बड़ी-बड़ी बालकनियां अब ऑलडे कॉफी शॉप में तब्दील हो गई हैं। इसका नाम छज्जा रखा गया है। यहां का नजारा आपकी कॉफी की हर सिप के मजे को दोगुना करने का दम रखता है। खाने के लिए अलग इंतजाम किए गए हैं और यहां हर तरह की चीजें मौजूद हैं। देसी और पारंपरिक खाने की तो बात ही निराली है।

इतिहास दर्शन

यहां पर एक इन हाउस म्यूजियम भी है। इसका नाम आई रखा गया है जिसका मराठी में मतलब मां होता है। यहां आपको ऐतिहासिक महत्व की पुरानी घरेलू चीजें देखने को मिल जाएंगी। कुछ तो लगभग 300 साल पुरानी हैं। इससे अलग एक बड़ी-सी प्लेट भी आपका ध्यान गरूर खींचेगी। इसे एलिफेंट्स प्लेट कहा जाता है क्योंकि राजा अपने प्रिय हाथी को खाना इसी पत्थर की भव्य प्लेट पर खिलाया करते थे।

चेकलिस्ट…

-साइट को साफ रखने में मदद करें।

-सूर्यास्त के बाद किले से बाहर अकेले नहीं जाएं।

-ऐतिहासिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएं।

-जंगल घूमने जाते वक्त बरसाती जरूर साथ रखें।

-किले से बाहर जाते वक्त होटल गाइड की सुविधा का फायदा उठाएं।

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