नए भारत का रास्ता है ‘डिजीटल लेन-देन’

-डॉ. जयंतीलाल भंडारी-

यकीनन इस समय देश कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए डिजीटल भुगतान को प्रोत्साहन के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में पहली बार बैंकिंग और वित्तीय संस्थान बिना कोई चार्ज लिए डिजीटल लेन-देन की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) ने सुनिश्चित किया है कि 1 अगस्त, 2019 से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करने वाली इमीडिएट पेमैंट सर्विस (आई.एम.पी.एस.) पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। एस.बी.आई. योनो एप, इंटरनैट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से फंड ट्रांसफर करने वाले खाताधारक से किसी तरह का चार्ज नहीं वसूला जाएगा। इससे पहले डिजीटल पेमैंट को बढ़ावा देने की पहल के लिए एस.बी.आई. ने 1 जुलाई, 2019 से आर.टी.जी.एस. और एन.ई.एफ.टी. चार्ज खत्म कर दिया था। देश में डिजीटल लेन-देन छलांगें लगाकर आगे बढऩे की संभावनाएं रखता है। हाल ही में प्रकाशित उद्योग संगठन एसोचैम और पी.डब्ल्यू.सी. की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 से 2023 के दौरान देश में डिजीटल भुगतान में तीव्र बढ़ौतरी होने का अनुमान है। इसमें वार्षिक 20 फीसदी से अधिक की बढ़ौतरी हो सकती है। इस अवधि में चीन में डिजीटल लेन-देन में 18.5 प्रतिशत और अमरीका में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। अभी भारत में डिजीटल लेन-देन 64.8 अरब डालर है। भारत में वर्ष 2023 तक डिजीटल भुगतान के दोगुना से अधिक बढ़कर 135.2 अरब डालर पर पहुंचने की संभावना है और भारत डिजीटल लेन-देन में बढ़ौतरी के मामले में चीन और अमरीका को पछाड़ देगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर डिजीटल लेन-देन मूल्य के मामले में अगले 4 वर्षों में भारत की हिस्सेदारी वर्तमान के 1.56 प्रतिशत से बढ़कर 2.02 प्रतिशत हो जाएगी।

नकद लेन-देन में कमी लाने के प्रयास

निश्चित रूप से सरकार कई सालों से नकद लेन-देन में कमी लाने के प्रयास कर रही है। अब विभिन्न प्रावधानों के जरिए सरकार ने भुगतान के लिए डिजीटल माध्यम अपनाना अनिवार्य किया है। उदाहरण के लिए किसी भी सम्पत्ति के लेन-देन में नकद राशि 20,000 रुपए तक सीमित कर दी गई है। कोई भी व्यक्ति एक दिन में किसी दूसरे व्यक्ति से 2 लाख रुपए से अधिक नकद नहीं ले सकता। निश्चित सीमा से अधिक पूंजीगत व्यय नकद राशि में होने पर संबंधित कारोबारी के लेन-देन करने पर रोक लगा दी जाती है। उल्लेखनीय है कि देश में डिजीटल कॉमर्स में बढ़ौतरी, भुगतान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस, इंटरनैट ऑफ थिंग्स, रियल टाइम भुगतान और मोबाइल प्वाइंट ऑफ सेल (पी.ओ.एस.) उपकरण के आने से डिजीटल लेन-देने के इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत में कमी आई है और इससे डिजीटल भुगतान को बढ़ाने में मदद मिली है। नियामक पहल और गैर- बैंकिंग क्षेत्र के वालेट की सफलता से पिछले 3 वर्षों में इलैक्ट्रॉनिक भुगतान में तेजी आई है। टैलीकॉम कम्पनियों, बैंकों, वालेट कम्पनियों और ई-कॉमर्स रिटेलरों की वजह से देश में डिजीटल भुगतान में व्यापक बदलाव आया है।

इंटरनैट उपभोक्ता 56 करोड़ हए

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीच्यूट द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट ‘डिजीटल इंडिया: टैक्नोलॉजी टू ट्रांसफॉर्म ए कनैक्टिड नेशन’ में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि भारत डिजीटलीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में इंटरनैट उपभोक्ताओं की संख्या करीब 56 करोड़ हो गई है और इस परिप्रेक्ष्य में भारत दुनिया में अब चीन के बाद दूसरे स्थान पर आ चुका है। वर्ष 2018 में भारत के स्मार्टफोन धारकों ने 12.3 अरब एप डाऊनलोड किए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में इंटरनैट डाटा की लागत वर्ष 2013 के बाद से 95 फीसदी कम हो चुकी है जबकि फिक्स्ड लाइन पर डाऊनलोड की रफ्तार चौगुनी हो चुकी है। इसके कारण प्रति व्यक्ति मोबाइल डाटा उपभोग सालाना 152 फीसदी बढ़ चुका है। इन सबके कारण डिजीटल लेन-देन की संभावनाएं बढ़ी हैं। निश्चित रूप से सरकार ने वर्ष 2019-20 के बजट में भी देश की अर्थव्यवस्था का डिजीटलीकरण करने पर जोर बरकरार रखा है, खासतौर पर डिजीटल भुगतान के मामलों में। अर्थव्यवस्था के जिन हिस्सों में अभी नकदी आधारित लेन-देन हो रहा है, उसे सीमित करने की कोशिश में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर किसी एक बैंक खाते से एक वर्ष में एक करोड़ रुपए से अधिक की निकासी होती है तो उसके स्रोत पर कर लगेगा। यह नोटबंदी के समय प्रस्तावित कई अन्य प्रावधानों की तुलना में काफी कम कठोर है। ग्राहक ई-कॉमर्स वैबसाइटों पर भुगतान करने या इस तरह के भुगतान से लाभ लेने के लिए डिजीटल पेमैंट कर रहे हैं इसलिए सरकार ने बड़े कारोबारियों के लिए डिजीटल माध्यम से भुगतान स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया है। नए बजट में वित्तमंत्री ने संकेत दिया है कि कम लागत वाले डिजीटल भुगतान माध्यम, मसलन भीम यू.पी.आई., यू.पी.आई. क्यू.आर. कोड, आधार पे, कुछ डैबिट कार्ड, एन.ई.एफ.टी., आर.टी.जी.एस. आदि का इस्तेमाल करके नकदी रहित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सकता है। ऐसा करने से अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रयोग कम होगा। यह प्रस्ताव भी रखा गया कि सालाना 50 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाले कारोबारी प्रतिष्ठानों को ऐसे कम लागत वाले डिजीटल भुगतान माध्यमों की सुविधा अपने ग्राहकों को देनी चाहिए और ग्राहकों तथा कारोबारियों पर मर्चैंट डिस्काऊंट रेट (एम.डी.आर.) या कोई अन्य शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए।

सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा

इसमें कोई दो मत नहीं कि सरकार डिजीटल भुगतान प्रणाली को लेकर काफी सक्रिय दिखाई दे रही है लेकिन उसे साइबर सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा। डिजीटल भुगतान अधिक कुशल, पारदर्शी और सुविधाजनक है लेकिन यह साइबर सुरक्षा के लिए भी काफी संवेदनशील है। साइबर हमलों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि डिजीटल भुगतान क्षेत्र की कम्पनियां उचित सुरक्षा उपाय अपनाएं। हम आशा करें कि नए चमकीले भारत में डिजीटल लेन-देन अपनी प्रभावी भूमिका के रूप में योगदान देते हुए दिखाई देगा।

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