आचार्य श्री विष्णुगुप्त उद्धव ठाकरे और बाल ठाकरे में वास्तविक अंतर क्या है? बाल ठाकरे अपने विचारों में अटल थे, स्पष्टवादी थे और प्रखर भी थे। उनके लिए सत्ता महत्वपूर्ण थी, उनके लिए हिन्दुत्व ही महत्वपूर्ण था। हिन्दुत्व को लेकर वे कभी समझौता नहीं किये। सत्ता में बैठना उन्हें पंसद नहीं था। सत्ता में बैठने के अवसर आने पर भी उन्होंने जोशी और नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया था। बाल ठाकरे चाहते तो कांग्रेस या शरद पावर के साथ समझौता कर शिव सैना की सरकार बनवा सकते थे। बाबारी मस्जिद…
Read MoreTag: Article
पुटलु की भी फ़िक्र कीजिए नेता जी…
कुमार कौशलेन्द्र पिछले दिनों मेरी मुलाकात झारखंड की सियासत में बवाल और तख्ता पलट का कारण बने हाट गम्हरिया-चाईबासा पथ पर एक बालक से हुई. मुश्किल से 5 साल का है बालक. चिथड़े से आधा-अधूरा ढका तन किन्तु आत्मविश्वास से लबरेज। हाट गम्हरिया-चाईबासा पथ पर आप भी मिल सकते हैं सरकार की घोषणाओं और व्यवस्था को मुंह चिढ़ाते नन्हें शिल्पकार से. इल्लीगढढा गांव का वह नन्हा सा विश्वकर्मा रेलवे फाटक के पास आपको भी मिल जायेगा. उस सरीखे अन्य भी मिलेंगे। स्वाभाविक है आप सोच रहे होंगे कि ये बालक…
Read Moreझारखंड के अमर वीर सेनानी ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा
लेखक : चंदन मिश्र देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। सरकार ने इसे अमृत महोत्सव की संज्ञा दी है। यह अवसर है जब देश की आजादी के 75 साल पूरे होने की असली खुशी को हर नागरिक हृदयंगम करे। देश की वर्तमान पीढ़ी ने आजादी की लड़ाई तो देखी नहीं है, लेकिन आजादी दिलानेवाले देश के वीर सेनानियों के बारे में जरूर पढ़ा और सुना है। अपने देश के हर प्रांत में ऐसे कई वीर सपूत हुए हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर कर…
Read Moreक्या तालिबान में अकेले इतनी ताकत थी कि वह देखते-देखते देश पर कब्जा कर लेता?
(लेखक-सिद्वार्थ शंकर) अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद यह तो साबित हो गया है कि उसमें अकेले इतनी ताकत नहीं थी कि वह देखते-देखते देश पर कब्जा करने की सोचता। तालिबान की इस मंशा को पाकिस्तान ने हवा दी और आगे बढऩे का हौसला दिया। पाकिस्तान को लगता है कि अफगानिस्तान में तालिबान को काबिज कर वह भारत के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारी पड़ सकता है। कुछ लोग इस राय से जुदा होंगे, लेकिन आज अफगानिस्तान के हालात पर पाकिस्तान में जिस तरह से खुशी जताई जा रही…
Read Moreसरकार आप तो ऐसे न थे…
मैथिली में एक कहावत है “मन हरखित तं गावी गीत”. अर्थ सहज है कि मन प्रफुल्लित हो तो गाने का मूड बनता है… हेमंत जी, आप झारखंड के मुख्यमंत्री हैं. आपकी विनम्रता मिश्रित राजनीतिक कौशल का मैं कायल हूँ, यह लिखने में भी मुझे गुरेज़ नहीं. किन्तु आज आप के लिये सरकार शब्द का संबोधन भारी मन से कर रहा हूँ. जब आप अभियंत्रण के छात्र थे, उस वक़्त से आपके संयम, विनम्रता और अन्तर्मुखी व्यक्तित्व का अवलोकन करता आ रहा हूँ. आपके स्वर्गीय अग्रज दुर्गा सोरेन जी से भी…
Read Moreन तो कद्दू कटेगा और न बंटेगा…
झारखंड के हालिया सियासी तूफान और महागठबंधन के तार-तार होते रिश्ते को शायर सागर ख़य्यामी ने निम्न पंक्तियों में बरसों पहले बयां कर दिया था –कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या?जी हाँ, विधायकों की खरीद फरोख्त कर सत्ता में उलटफेर का फेरा कई सियासी खिलाड़ियों को भारी पड़ने वाला है. औरों की तो छोड़ दीजिये कुर्बानी की बकरीद मना रहे झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व जामताड़ा विधायक डा. इरफान अंसारी ने तो कतई नहीं सोचा होगा कि उनकी विश्वसनीयता ही कुर्बान हो जायेगी.…
Read Moreओलंपिक के एथलीटों के प्रति तत्परता दर्शाती है “एथलीट फर्स्ट” की प्रतिबद्धता
वीरेन रस्किन्हा करीब एक महीने पहले विनेश फोगट असमंजस में थीं। भारत की प्रसिद्ध पहलवान बुल्गारिया स्थित अधिक ऊंचाई वाले प्रशिक्षण शिविर से भारत लौटना चाहती थीं, लेकिन वापस आने की इस योजना को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने विफल कर दिया। भारत से आने-जाने वाली उड़ानें रद्द हो रही थीं। यूरोप की यात्रा के लिए वीजा मिलना कठिन होता जा रहा था। ऐसे में उनके साथी के रूप में निरंतर मौजूद थी तो केवल अनिश्चितता। इससे भी खराब स्थिति तब आयी जब उन्होंने अपना बेस हंगरी के बुडापेस्ट…
Read Moreव्यंग्य : चाटुकारिता के खुले समर्थन में ही सबका भला है!
अजय वर्मा (Ajay Verma) प्रशंसा और चाटुकारिता में बड़ा बारीक अंतर होता है। प्रशंसा व्यक्ति के काम की होती है, और चाटुकारिता काम के व्यक्ति की होती है। जिन्हें काम के आदमी को कायदे से मक्खन लगाना आता हो उनकी हर जगह हमेशा से पूछ परख होती रही है। ऐसे लोग राजनीति में, सरकारी दफ्तरों में अफसरों के बीच लाइजनिंग का काम बड़ी सफलता से करते हैं। पुराने समय में राजाओं की चाटुकारिता में काव्य कहे जाते थे, चारण साहित्य आज भी उपलब्ध है जो और कुछ न सही किंचित…
Read More