सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी को बताया ‘राष्ट्रीय संकट’

हाई कोर्ट स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से सुनवाई में बेहतर तरीके से सक्षम
नई दिल्ली : कोरोना से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये राष्ट्रीय संकट है, लोग मर रहे हैं, हम स्थानीय लोगों की चिंताओं के प्रति सजग हैं। हाई कोर्ट स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से सुनवाई में बेहतर तरीके से सक्षम हैं। कोर्ट ने कहा कि हमारी सुनवाई से हाई कोर्ट की सुनवाई पर रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को सही रूप में लिया जाए। कुछ मसले हैं जो किसी राज्य के दायरे से बाहर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र हमें ऑक्सीजन के उत्पादन, उसकी मांग और वितरण पर जानकारी दे। उसे प्रभावित राज्यों तक कैसे पहुंचाया जा रहा है भविष्य में किस तरह की स्थिति रहेगी, रेमडेसिविर और दूसरी दवाओं की आपूर्ति एक-एक जिले तक कैसे हो रही है, इसका विवरण दें। कोर्ट ने कहा कि 1 मई से होने वाले वैक्सिनेशन अभियान के इंतज़ाम की जानकारी दी जाए। यह देखा जाए कि कोवैक्सिन और कोविशील्ड की कमी न हो। केंद्र-राज्य विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैनल बनाएं जो नागरिकों को सलाह दे सकें। वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा एमिकस क्यूरी नियुक्त किए जा रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मेरे सहयोगी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। 30 अप्रैल तक जवाब दाखिल करेंगे। 3 मई को सुनवाई कीजिए। तब कोर्ट ने कहा कि 30 अप्रैल को ही सुनवाई होगी। राज्य सरकारें  भी 29 अप्रैल तक जवाब दाखिल करें।
सुनवाई जब शुरु हुई तो तुषार मेहता ने कहा कि हमने जवाब दाखिल किया है। शायद यह अभी जजों के सामने नहीं है । जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या हम एक-दो दिन में सुनवाई करें ताकि आपका जवाब पढ़ लें। कोर्ट ने कहा कि एक बार फिर यह साफ किया जा रहा है कि हम किसी हाईकोर्ट की सुनवाई को रोकने के पक्ष में नहीं हैं। हाईकोर्ट स्थानीय परिस्थितियों को बेहतर समझते हैं । जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि चूंकि हरीश साल्वे अब एमिकस क्यूरी नहीं हैं, हम दो वरिष्ठ वकीलों को यह ज़िम्मा सौंपना चाहते हैं।
सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और सभी राजनीतिक दल आपस मे समन्वय से काम कर रहे हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि  केंद्रीय संसाधनों जैसे सेना, अर्धसैनिक बल, रेलवे का इस्तेमाल कैसे हो रहा है। वैक्सीन की अलग कीमतें क्यों सामने आ रही हैं। तब मेहता ने कहा कि संसाधनों का उचित इस्तेमाल किया जा रहा है। जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों पर केंद्र क्या कर रहा है। ड्रग कंट्रोलर्स एक्ट और पेटेंट्स एक्ट के तहत सरकार को शक्ति हासिल है। तब वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि केंद्र को वैक्सीन डेढ़ सौ रुपये और राज्य को चार सौ रुपये में दी जा रही है।
राजस्थान सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कल दिल्ली हाईकोर्ट ने आईनॉक्स की गलत जानकारी पर राजस्थान सरकार के खिलाफ टिप्पणी की। राजस्थान में ऑक्सीजन टैंकर को स्थानीय प्रशासन ने डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत रोका है। तब कोर्ट ने कहा कि यह बात आप दिल्ली हाईकोर्ट में रखिए। तब मेहता ने कहा कि केंद्र ने निर्देश दिया है कि कोई भी राज्य ऑक्सीजन टैंकर न रोके। गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्य के मंत्रियों से बातचीत में कहा है कि ऑक्सीजन टैंकर को एंबुलेंस की तरह देखें। सुनवाई के दौरान दिल्ली के वकील ने कहा कि हम किसी राज्य के खिलाफ नहीं। राजस्थान में वह टैंकर रोके गए जिन्हें दिल्ली आना था।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम दो दिन बाद सुनवाई करेंगे। केंद्र की तरफ से दाखिल जवाब को पढ़ना चाहते हैं। आंध्रप्रदेश के वकील ने कहा कि राज्य की बजाय उसके अंदर अलग-अलग हिस्सों को ऑक्सीजन सप्लाई देना ज़्यादा बेहतर होगा। इस पर जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि केंद्र इस पर विचार करे। तब मेहता ने कहा कि- ज़रूरत के हिसाब से नीति में बदलाव होते हैं।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि अस्पताल में भर्ती करने को लेकर राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए। राज्यों में अलग-अलग दिक्कतें हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय समस्याओं को हाईकोर्ट देखेंगे। लेकिन यह जानना अहम है कि क्या इस पर एक राष्ट्रीय नीति है । तब मेहता ने कहा कि हमारे जवाब में इसका उल्लेख है।

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