अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनें 02 सितंबर को रखेंगी तीज का व्रत

रांची । सुहागिनेंं अखंड सौभाग्य के लिए सोमवार को दिन-रात का निर्जला और निराहार रहकर हरितालिका तीज का व्रत रखेंगी। सुहागिनें रात में भगवान शंकर की पूजा करेेंगी। इसके बाद व्रत का पारण मंगलवार को होगा। रविवार को सुहागिनें नहाय-खाय का अनुष्ठान करेंगी। तीज को लेकर राजधानी रांची के बाजार सज चुके हैं। महिलाएं नई साड़ियां और श्रृंगार के सामान के साथ पूजा की सामग्री खरीदने में जुटी हैं।

शनिवार को पंडित रामदेव पाण्डेय ने बताया कि तीज पर चतुर्थी तिथि का संयोग फल प्रदान करने वाला है। धर्म शास्त्र के अनुसार माता पार्वती ने भी महादेव को प्राप्त करने के लिए हरितालिका व्रत किया था। सती के व्रत और तप से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें अखंड सौभाग्यती होने का वरदान दिया। उन्होंने बताया कि हरतालिका व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि हस्त नक्षत्र में किया जाता है। इस व्रत में शिव और पार्वती के विवाह की कथा सुनने का काफी महत्व है। इस व्रत को सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु,  सुख, सौभाग्य, आरोग्य की कामना के लिए करती हैंं। इसे व्रत को कुवांरी कन्याएं भी बेहतर जीवन साथी की कामना के लिए करती हैंं। 

पूजन विधि

पाण्डेय ने बताया कि हरतालिका तीज व्रत प्रदोषकाल में किया जाता है। दिन और रात के मिलन के समय को प्रदोषकाल कहा जाता है। उन्होंने बताया कि सुहागिन महिलाएं शिवालय जाकर माता पार्वती और शिवजी और गणेश की पूजा करती हैंं। जो सुहागन स्त्रियां मंदिर नहीं जा सकती हैं, वे घर में ही मिट्टी या बालू की भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बना कर पूजन करें। पूजा स्थल को बेलपत्र की झालर, रंगोली और फूलों से सजायें और माता पार्वती का श्रृंगार करें। इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार विधि से पूजन करें।

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