रांची । स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने सभी जिलों के सिविल सर्जन और शिशु रोग विशेषज्ञों (डीपीएम) को राज्य के सभी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से सहिया रेस्ट रूम संचालित करने और उसकी निगरानी का निर्देश दिया है।
कुलकर्णी सोमवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से आयोजित पार्टिसिपेटरी लर्निंग एंड एक्शन (पीएलए) के एकदिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना होगा कि सहिया रेस्ट रूम में किसी का कब्जा नहीं हो। सहिया रेस्ट रूम में वैसी हर सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, जो एक महिला को मिलनी चाहिए। कुलकर्णी ने कहा कि सहिया को समय पर भुगतान मिल सके। इसके लिए रांची जिला में सहिया पेमेंट सिस्टम पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया था। इसका सकारात्मक परिणाम मिला है और इसे अब राज्य के सभी जिलों में लागू किया जायेगा। कुलकर्णी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र की सहिया अस्पताल में किसी मरीज को लेकर आ रही है, तो उसे प्रॉपर रिस्पांस मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह काम ऑफिस क्लर्क के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि प्रखंडों में मेडिकल ऑफिसर्स को भी इस बात पर ध्यान देना होगा कि सहिया को अपने काम कराने के लिए भटकना न पड़े। सहिया भुगतान के संबंध में चर्चा करते हुए डॉ. कुलकर्णी ने कहा कि सहिया इंसेंटिव का भुगतान समय पर होने को लेकर सिस्टम बनाया जाए। हजारीबाग जिले में सहिया इंसेंटिव का भुगतान कम-से-कम तीन महीने के बाद किया जाता है, जो नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहिया कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने के लिए समय पर उनका भुगतान जरूरी है। इस अवसर पर एनएचएम के निदेशक कृपानंद झा, डॉ जेपी सांगा, अकई मिंज, अजय कुमार शर्मा, रणजीत कुमार वर्मा आदि उपस्थित थे।
कुलकर्णी सोमवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से आयोजित पार्टिसिपेटरी लर्निंग एंड एक्शन (पीएलए) के एकदिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना होगा कि सहिया रेस्ट रूम में किसी का कब्जा नहीं हो। सहिया रेस्ट रूम में वैसी हर सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, जो एक महिला को मिलनी चाहिए। कुलकर्णी ने कहा कि सहिया को समय पर भुगतान मिल सके। इसके लिए रांची जिला में सहिया पेमेंट सिस्टम पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया था। इसका सकारात्मक परिणाम मिला है और इसे अब राज्य के सभी जिलों में लागू किया जायेगा। कुलकर्णी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र की सहिया अस्पताल में किसी मरीज को लेकर आ रही है, तो उसे प्रॉपर रिस्पांस मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह काम ऑफिस क्लर्क के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि प्रखंडों में मेडिकल ऑफिसर्स को भी इस बात पर ध्यान देना होगा कि सहिया को अपने काम कराने के लिए भटकना न पड़े। सहिया भुगतान के संबंध में चर्चा करते हुए डॉ. कुलकर्णी ने कहा कि सहिया इंसेंटिव का भुगतान समय पर होने को लेकर सिस्टम बनाया जाए। हजारीबाग जिले में सहिया इंसेंटिव का भुगतान कम-से-कम तीन महीने के बाद किया जाता है, जो नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहिया कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने के लिए समय पर उनका भुगतान जरूरी है। इस अवसर पर एनएचएम के निदेशक कृपानंद झा, डॉ जेपी सांगा, अकई मिंज, अजय कुमार शर्मा, रणजीत कुमार वर्मा आदि उपस्थित थे।
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