सरप्राइज देकर विपक्ष और टिकैत जैसे किसान नेताओं को PM मोदी ने दिया झटका!

नई दिल्ली : कृषि कानूनों में बदलाव को लेकर करीब एक दर्जन बार केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। किसान नेताओं के कानूनों की पूरी तरह वापसी पर ही अड़ जाने के बाद केंद्र सरकार ने बातचीत ही बंद कर दी और यह आंदोलन एक साल तक जारी रहा। अब प्रकाश पर्व के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक देश के नाम संबोधन में तीन नए कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया। भले ही इसका श्रेय किसान आंदोलन के नेता और विपक्ष लेने की कोशिश कर रहा है, लेकिन असर में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद ही सरप्राइज देकर उनसे यह मौका छीन लिया है। राकेश टिकैत समेत कई नेता अकसर यह बात दोहरा रहे थे कि बातचीत एक ही शर्त होगी कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए।

और पढ़ें : तूफानी रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा 984 फुट लंबा ऐस्टरॉइड…

यदि सरकार बातचीत के बाद किसान नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसा कोई ऐलान करती तो उन्हें भी इसका श्रेय मिलता और फिर चुनावी राजनीति में भी इसका असर दिख सकता था। ऐसा कुछ करने की बजाय पीएम नरेंद्र मोदी ने एकतरफा ऐलान करते हुए कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया और देशवासियों से क्षमा भी मांगी। सभी किसानों से घरों की वापसी की अपील करते हुए पीएम मोदी ने संकेत दिया कि वह नेताओं से नहीं बल्कि सीधे किसानों से ही संवाद करना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अब गेंद किसान नेताओं के पाले में ही डाल दी है।

Advertisement

कृषि कानूनों की वापसी तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहने के किसान नेताओं के ऐलान को लेकर अब सवाल पूछा जा रहा कि आंदोलन खत्म कब होगा। राकेश टिकैत ने अब एमएसपी और बिजली कानून जैसे मुद्दों की बात की है। इसके अलावा कानूनों के संसद से वापस लिए जाने तक डटे रहने की बात कही है। पीएम नरेंद्र मोदी के कानून वापसी के ऐलान और किसानों से घर वापसी की अपील के बाद भी टिकैत यह रवैया किसान नेताओं के बीच मतभेद पैदा कर सकता है। खुद ही तीन कानूनों की वापसी तक डटे रहने की बात करने वाले टिकैत से अब यह सवाल पूछा जा सकता है कि आखिर वे क्यों नहीं लौटना चाह रहे? पीएम मोदी के इस दांव से राकेश टिकैत समेत तमाम किसान नेता चुनाव में भाजपा विरोध के नारे के साथ नहीं जा सकेंगे।

Advertisement

हरियाणा, पंजाब और पश्चिम यूपी के कई इलाकों में किसान आंदोलनकारी खुले तौर पर भाजपा के खिलाफ उतर आए थे और नेताओं को बंधक तक बनाए जाने की घटनाएं सामने आई थीं। अब किसान नेता भाजपा के खिलाफ यूं खुलकर प्रचार नहीं कर सकेंगे और विपक्षी दलों के हाथ से भी बड़ा मुद्दा छिन गया है। चुनाव से ठीक पहले यह ऐलान कर पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा की समावेशी और सब की सुनने वाली पार्टी की छवि बनाने की कोशिश की है। ऐसे में विपक्ष के लिए अब इस मुद्दे पर हवा बांधना आसान नहीं होगा और दूसरा कोई अहम मुद्दा सरकार के खिलाफ फिलहाल नजर नहीं आता है।

वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें : YouTube

This post has already been read 47496 times!

Sharing this

Related posts