खिलाड़ी मैदान पर तभी उतरे, जब वह मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हो : शाकिब

ढ़ाका। बांग्लादेश के हरफनमौला खिलाड़ी शाकिब अल हसन का मानना है कि एक खिलाड़ी को मैदान पर तभी खेलना चाहिए, जब वह मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हो। यहां आयोजित एक प्रत्रकार वार्ता में शाकिब ने कहा कि एक खिलाड़ी को तैयार होने के बाद ही खेलना चाहिए। यदि कोई खिलाड़ी फिट नहीं है, तो यह उसके लिए कठिन होता है, इसलिए फिटनेस उसके लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की फिटनेस हो सकती है।” शाकिब का यह बयान श्रीलंका के हाथों बांग्लादेश को एकदिवसीय श्रृंखला में 3-0 से मिली हार के बाद आया है। शाकिब श्रीलंका दौरे पर टीम का हिस्सा नहीं थे।  वहीं, नियमित कप्तान मशरफे मुर्तजा को हैमस्ट्रिंग की चोट के कारण श्रृंखला से बाहर कर दिया गया था और उनकी जगह तमीम इकबाल को कप्तान बनाया गया था। तमीम ने तीन एकदिनी मैचों की इस  श्रृंखला में कुल 21 रन ही बनाए। विश्व कप में भी उनका बल्ला नहीं चला था। वहां वो सिर्फ एक अर्धशतक लगा पाए थे। विश्व कप के बाद पहली बार दोनों टीमें एक दूसरे के खिलाफ खेल रही थीं। शाकिब ने कहा कि इतने सारे मैच खेले जा रहे हैं और एक खिलाड़ी के लिए लगातार मैच खेलना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में, बहुत सारे मैच खेले जा हैं, इसलिए सब कुछ एक साथ मैनेज करना कठिन है। एक खिलाड़ी लगातार नहीं खेल सकता है, इसलिए ब्रेक महत्वपूर्ण हैं। और ये ब्रेक नए लोगों के लिए अवसर पैदा करते हैं।” शाकिब ने भारत का उदाहरण दिया, जो अपने खिलाड़ियों को खेल के तीनों प्रारूपों में बदलते रहते हैं।  शाकिब ने कहा, “भारतीय टीम एक अच्छा उदाहरण हो सकती है। पिछले साल, उनके कम खिलाड़ी घायल हुए थे। उनकी रोटेशन नीति इसके पीछे मुख्य कारण है। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने कई खिलाड़ियों को तैयार किया और खिलाड़ियों को एक्सपोज़र मिला।” उन्होंने कहा, “एक ही समय में, जब एक नया खिलाड़ी आता है, तो वे नए सिरे से प्रदर्शन कर सकते हैं। विराट कोहली सहित, बाकी खिलाड़ी अलग-अलग प्रारूपों में खेले। एक ही श्रृंखला में तीनों प्रारूपों में बहुत कम खिलाड़ी खेले।” बता दें कि शाकिब ने विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। वह विश्व कप के इतिहास में पहले ऐसे क्रिकेटर बने थे, जिन्होंने एक ही टूर्नामेंट में 500 से अधिक रन बनाए और 10 से ज्यादा विकेट लिए।

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