पायलट प्रोजेक्ट’ पूरा, अब रियल की बारी: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली । भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमा पार आतंकी कैंपों पर की गई कार्रवाई को इशारों ही इशारों में ‘पायलट प्रोजेक्ट’ करार देते हुए आज कहा कि अभी रियल प्रोजेक्ट करना बाकी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को विज्ञान भवन में वर्ष 2016, 2017, 2018 के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार वितरण समारोह में मौजूद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लेबोरेटरी में जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं। वहां पायलट प्रोजेक्ट के बाद स्केलेबल करने की परंपरा है। तो अभी-अभी एक पायलट प्रोजेक्ट हो गया, अभी रियल करना है, पहले तो प्रैक्टिस थी। उल्लेखनीय है कि वैज्ञानिक, औद्योगिक अनुसंधान परिषद के संस्थापक निदेशक डॉ शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर दिया जाने वाला यह पुरस्कार विज्ञान और तकनीक के विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट भारतीय कार्य को मान्यता देने के दिया जाता है।
प्रधानमंत्री ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को समाज की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिक संस्थानों को भविष्य की आवश्यकताओं के साथ जोड़ना चाहिए और स्थानीय समस्याओं के समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने हमेशा मानवता की भलाई के लिए अपना योगदान दिया है। आज भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है। मोदी ने कहा कि जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान नए भारत का रास्ता बनें इसके लिए इस प्रकार के पुरस्कारों और राष्ट्रीय विज्ञान दिवस जैसे आयोजनों की भूमिका बहुत अहम है।
मोदी ने बिग डेटा, मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुशासन साइबर भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन इन क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सुधार करेगा। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से चौथी औद्योगिक क्रांति का लाभ उठाने और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए कहा जो भारत को विनिर्माण, ज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाएंगे।
प्रधानमंत्री ने सीमित संसाधनों के साथ काम करते हुए वैज्ञानिक समुदाय की विश्व स्तरीय उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब इच्छाशक्ति हो तो सीमित संसाधनों में भी कैसे अद्भुत परिणाम दिए जा सकते हैं, इसका उदाहरण हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि हमारा मून मिशन हो, मार्स मिशन हो या फिर सैटेलाइट लॉचिंग के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, दुनिया को आप जैसे ही हमारे अनेकों वैज्ञानिकों ने ही चकित किया है। इस संदर्भ में उन्होंने इसरो के भारत के बेहद सफल अंतरिक्ष कार्यक्रमों, भारतीय दवा क्षेत्र की असाधारण वृद्धि और विभिन्न सीएसआईआर पहलों के बारे में उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को एक अंतर-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। इस तरह के दृष्टिकोण से विभिन्न वैज्ञानिक सवालों के तेजी से और बेहतर समाधान खोजने में मदद मिलेगी।

वर्ष 2018 के लिए
डॉ गणेश नागराजू, डॉ थॉमस पुकाडिल, डॉ राहुल बैनर्जी, डॉ स्वाधीन कुमार मंडल, डॉ मादिनेनी वेकंट रत्न्म, डॉ पार्थसारथी चक्रवर्ती, डॉ अमित अग्रवाल, डॉ अश्विन अनिल गुमास्ते, डॉ अमित कुमार, डॉ नितिन सक्सेना, डॉ गणेशन वेंकटसुब्रमणियन, डॉ अदिति सेन दे, डॉ अम्बरीश घोष को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।
वर्ष 2017 के लिए
डॉ विनय गुप्ता, डॉ संजीव दास, डॉ जी. नरेश पटवारी, डॉ एस. सुरेश बाबू, डॉ आलोक पॉल, डॉ नीलेश बी मेहता, डॉ अमित दत्त, डॉ दीपक गौड़, डॉ निसिम कानेकर, डॉ दीपक थन्काप्पन नायर को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया।

वर्ष 2016 के लिए
डॉ ऋषिकेश नारायणन, डॉ शुभेन्द्र नाथ भट्टाचार्य, डॉ पार्थ सारथि मुखर्जी, डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ अविनाश कुमार अग्रवाल, डॉ वेंकट नाराणन पद्मनाभन, डॉ अमलेन्दु कृष्ण, डॉ नवीन गर्ग, डॉ नियाज अहमद ए.एस., डॉ सुब्रहमणियम अनंत रामकृष्ण, डॉ सुधीर कुमार वेमपति को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किए।

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