देवघर विधानसभा सीट पर फिर दिलचस्प मुकाबले की तस्वीर

देवघर देवघर विधानसभा सीट पर फिर दिलचस्प मुकाबला होगा। देवघर विधानसभा क्षेत्र देवघर जिले के तीन प्रखंड देवघर, मोहनपुर और देवीपुर में फैला है। यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है। 1970 के दशक में जनसंघ के बाद 2014 में पहली बार भाजपा के खाते में यह सीट गयी और नारायण दास ने जीत दर्ज की। 2019 के चुनाव में सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा पांच वर्षों में हुए विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही है। वहीं गठबंधन से पहले विपक्ष के हर दल में दावेदार सामने आ रहे हैं। कांग्रेस व राजद की परंपरागत सीट मानी जाने वाले इस क्षेत्र में आज भी समीकरण उनके अनुकूल हैं, लेकिन गत विस चुनाव परिणाम के बाद से ही विपक्ष में एका नहीं होना भारी पड़ सकता है। राजद, कांग्रेस, झामुमो व झाविमो के संभावित प्रत्याशी पूरे क्षेत्र में सक्रिय तौर पर प्रचार में जुटे हैं। झारखंड विकास मोर्चा यूपीए फोल्डर से बाहर है। केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की एकला चलो की नीति ने कई नेताओं के चेहरे पर खुशियां ला दी है। ऐसे में झाविमो एनडीए-यूपीए की लड़ाई के बीच सियासी कोण बनाने की कोशिश करेगा। देवघर सीट से झाविमो की ओर से कई दावेदार हैं। कुछ पुराने युवा चेहरे भी झाविमो से टिकट लेने के लिए अपनी हाजिरी लगातार लगा रहे हैं। इसी क्रम में देवघर की युवा नेता बजरंगी महथा ने बाबूलाल मारंडी से मुलाकात कर अपनी भावनाओं को रखा है। अब देखना काफी रोचक होगा कि झाविमो का टिकट देवघर विधानसभा में किसे मिलता है। गौरतलब है कि पूर्व में भी बजरंगी महथा ने निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा था और लोकसभा चुनाव में भी अपनी बहादुरी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब देखना रोचक होगा केंद्रीय अध्यक्ष किस चेहरे पर अपना विश्वास जताते हैं। वैसे झामुमो, राजद और कांग्रेस गठबंधन ने अभी अपना पत्ता नहीं खोला है। वर्तमान दृश्य बताता है कि विधानसभा चुनाव में देवघर का रण काफी रोचक होने वाला है।

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