विभागीय उदासीनता को खत्म कर औद्योगीकरण का रास्ता खोलें : चैंबर

रांची : स्थानीय उद्यमियों की समस्याओं को लेकर आज फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज की चैंबर भवन में एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई। चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने उद्योग विभाग, पॉल्यूशन बोर्ड के साथ ही ट्रांस्पोर्ट विभाग की कार्यशैली पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को विभागीय उदासीनता खत्म कर, औद्योगिकीकरण का रास्ता खोलना चाहिए। यह कहा गया कि राज्य में बंद पडी फैक्ट्रियों के रिवाईवल पर सरकार की चिंता सराहनीय है। निष्चित ही यह प्रयास राज्य में औद्योगिकीकरण के द्वार खोलेगा। इसी दिशा में हाल ही में दिल्ली में निवेशक सम्मेलन का आयोजन साकारात्मक प्रयास है किंतु उचित होता, इस सम्मेलन का आयोजन झारखण्ड में ही राज्य के स्थानीय उद्यमियों के साथ किया जाता।

चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार द्वारा बंद फैक्ट्रियों के रिवाईवल का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली से चलंत उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। उदाहरण के तौर पर फैक्ट्री लाईसेंस के रिन्यूअल और पॉल्यूशन बोर्ड से कंसेंट टू ऑपरेट मिलने में हो रहे विलंब से उद्यमी परेशान हैं। यदि श्रम विभाग और पॉल्यूशन बोर्ड से उद्यमियों को ऐसे ही समस्याएं होती रहीं तो बंद पडे उद्योगों का सरवाईवल तो दूर, चल रहे उद्योग भी बंदी के कगार पर आ जायेंगे। इंस्पेक्टर ऑफ फैक्ट्री कार्यालय द्वारा फाइल क्लियर नहीं किये जाने की शिकायतें नियमित रूप से हमारे संज्ञान में आ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में निर्मित नीतियां अच्छी होने के बावजूद निवेशकों में आत्मविश्वास का अभाव रहता है जिसका मुख्य कारण पॉलिसी का सुचारू रूप से क्रियान्वयन नहीं होना है।

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उदाहरण के तौर पर पॉलिसी के तहत यूनिट्स को दी जानेवाली निर्धारित सब्सिडी का समयबद्ध डिसबर्समेंट और अप्रूवल नहीं होने से आर्थिक रूप से यूनिट को समस्या होती है। चैंबर के पास ऐसे कई उद्यमियों की शिकायतें मिली हैं, जिन्हें उन्हें अपने निवेश के बाद वर्ष 2016 से सब्सिडी की किस्त डिस्बर्स नहीं की गई है। आश्चर्यजनक है कि उद्योग विभाग द्वारा भी इसपर रूचि नहीं दिखाई जाती है।

उद्यमी अजय भंडारी ने कहा कि मोमेंटम झारखण्ड को हमने विफल होते देखा है। क्या इस विफलता की समीक्षा हुई? हमारा मानना है कि इसका मुख्य कारण सरकार की योजनाओं के अनुरूप योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होना तथा इसमें स्थानीय उद्यमियों एवं औद्योगिक संगठनों की सहभागिता नहीं होना ही है। इस प्रयास में केवल निवेशकों को बुलाने की कोशिश मात्र ही हो पाई। हमने बारंबार सरकार से कहा था कि राज्य की ग्राउण्ड रियलिटी हम जानते हैं, हमसे वार्ता करें, पर हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया। अभी फिर सरकार ने स्थानीय उद्यमियों की उपेक्षा कर प्रदेश से बाहर में निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया है। मार्च माह में भी दिल्ली में स्टेकहोल्डर्स मीट का आयोजन किया गया था।

उसके उपरांत स्थानीय उद्यमियों एवं संगठनों के दबाव से उद्योग विभाग द्वारा रांची में भी स्टेकहोल्डर्स मीट का आयोजन किया गया पर कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। उसी बैठक में उद्योग सचिव महोदया ने स्थानीय उद्यमियों की समस्याओं के समाधान के लिए फेडरेशन चैंबर और अन्य औद्योगिक संगठनों के साथ बैठक करने की बात कही थी पर उसके बाद से अब तक 5-6 बैठकें निर्धारित करके, उन सभी बैठकों को स्थगित कर दिया गया।

मतलब स्पष्ट है कि उद्योग विभाग द्वारा स्थानीय इकाईयों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो राज्य में औद्योगिकीरण के लिए अच्छे संकेत नहीं है। उन्होंने विभागीय कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए कहा कि क्या उद्योग सचिव महोदया कभी किसी औद्योगिक क्षेत्र में गई हैं ? वह सितम्बर 2020 से विभाग की सचिव हैं, पर हमारे उद्यमी तो 50 साल से भी अधिक वर्षों से उद्योग चला रहे हैं। हम उनके एवं उनके विभाग को पुनः न्यौता देते हैं कि वह आयें और राज्य के औद्योगिकीकरण की दिशा पर हमसे संवाद करें।

पूर्व अध्यक्ष दीपक कुमार मारू ने कहा कि एसपियाडा के अंतर्गत देवीपुर औद्योगिक क्षेत्र में दो वर्षों से भी अधिक अवधि से उद्यमियों को आवंटित 81 प्लॉटों में से आज तक एक भी उद्यमी को आवंटित प्लॉट पर एसपियाडा द्वारा दखल नहीं दिलाया जा सका है। ऐसे में उद्यमी प्लॉट आवंटन में पूंजी लगाकर लंबे समय से उद्योग लगाने की जगह खाली हाथ बैठे हैं और बडी राशि के रूप में पूंजी फंसे होने की पीडा से पीडित हैं।

आश्चर्यजनक है कि नियमानुसार 6 माह तक प्रोग्रेस रिपोर्ट नहीं दिखाने पर ऐसे जमीन को खाली करने के लिए जियाडा द्वारा उद्यमियों को नोटिस भेजा जाता है। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र की आधारभूत संरचनाओं पर भी चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में ऐसा कोई भी औद्योगिक क्षेत्र नहीं है जहां सारी मूलभूत सुविधाएं हों। सरकार ने शायद इसलिए ही इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन झारखण्ड में नहीं किया होगा।

तुपुदाना इन्डस्ट्रीज एसोसियेशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र की दयनीय स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि 360 एकड एरिया में बसे इस औद्योगिक क्षेत्र में 350 यूनिट्स हैं जिनमें से 200 यूनिट्स रूग्ण अवस्था में हैं। इस औद्योगिक क्षेत्र में सडक, नाली, बिजली की स्थिति वर्षों से दयनीय है।

चैंबर उपाध्यक्ष किशोर मंत्री ने ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर्स संचालकों की कठिनाईयों पर चिंता जताई और कहा कि किसी भी वाणिज्यिक वाहन को सड़क पर चलाने के लिए सीएमवीआर रूल 62 के तहत दुरूस्ती प्रमाण पत्र निर्गत कराना होता है जो 15 प्रकार की तकनीकी जांच के अनुरूप निर्गत किये जाते हैं। सारे तकनीकी जांच भारी उपकरणों का इस्तेमाल कर किये जाते हैं।

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इन्हीं सभी मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा प्रदेष में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर आरंभ किया गया है। किंतु जमशेदपुर में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर स्थापित होने के बावजूद एमवीआई द्वारा दुरूस्ती प्रमाण पत्र मैनुअली निर्गत किया जा रहा है जिस कारण ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में वाणिज्यिक वाहनों का आवागमन कम हो गया है। ऐसे में कोई निवेशक क्यों राज्य में निवेश के लिए ईच्छुक होगा।

प्रेस वार्ता के दौरान चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा, उपाध्यक्ष धीरज तनेजा, किषोर मंत्री, महासचिव राहुल मारू, कार्यकारिणी सदस्य आदित्य मल्होत्रा, अमित शर्मा, पूर्व अध्यक्ष दीपक कुमार मारू, उद्यमी अजय भंडारी, प्रमोद चौधरी, शषांक भारद्वाज उपस्थित थे।

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