समायोजित सकल आय के बकाया मामले में गैर- दूरसंचार कंपनियों को न्यायालय से ही मिल सकती है कोई राहत’

नयी दिल्ली। दूरसंचार विभाग ने कहा है कि गैर-दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों को बढ़े शुल्क से कोई भी राहत उच्चतम न्यायालय से ही मिल सकती है। सरकार ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद करोड़ों रुपये के पिछले बकाया को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र की गैस आपूर्तिकर्ता कंपनी गेल इंडिया सहित कुछ अन्य कंपनियों को नोटिस भेजा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार विभाग फिलहाल समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बारे में सार्वजनिक क्षेत्र की गैर-दूरसंचार कंपनियों के जवाबों को देख रहा है।

दूरसंचार विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने अपना जवाब भेजा है जिसका हम अध्ययन कर रहे हैं। हमारा मानना है कि उन्हें अधिसूचना या इस बारे में स्पष्टीकरण को लेकर उच्चतम न्यायालय में जाना होगा कि वे उसके (न्यायालय के) आदेश के दायरे में आते हैं या नहीं। इस बारे में उन्हें स्पष्टीकरण लेना है।’’ उसने कहा कि कुछ मामलों में जहां कंपनियां न्यायालय में पक्ष थी, उन मामलों में वे शीर्ष अदालत के आदेश को मानने के लिये बाध्य हैं। कुछ पक्षों ने पुनरीक्षा याचिका दायर की है। अधिकारी ने कहा, ‘‘कुछ अन्य हैं जो पक्ष नहीं थे।

उन्हें निर्णय करना होगा क्योंकि हमारा आकलन है कि यह लागू होगा … हम मामले की समीक्षा कर रहे हैं लेकिन हमारा मानना है कि उन्हें स्पष्टीकरण को लेकर संभवत: उच्चतम न्यायालय में जाना होगा।’’न्यायालय के आदेश के तहत भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया तथा अन्य दूरसंचार कंपनियों के ऊपर सरकार का 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। उच्चतम न्यायालय ने इस साल अक्टूबर में दूरसंचार कंपनियों की गैर-दूरसंचार कारोबार से होने वाली आय को उनकी समायोजित सकल आय में शामिल करने के सरकार के पक्ष को सही ठहराया। इस फैसले के बाद कंपनियों पर ऐसी पिछले कुल सालों की आय का बकाया भुगतान का दबाव बढ़ गया।

शीर्ष अदालत ने प्रभावित पक्षों को राशि सरकार को देने के लिये तीन महीने का समय दिया है।दूरसंचार विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि एजीआर को लेकर यह आदेश लाइसेंस ले रखी संभी कंपनियों पर लागू होगा। इसमें गेल, रेलटेल और पावरग्रिड शामिल हैं।इंटरनेट सेवा प्रदाताओं जैसी गैर-दूरसंचार कंपनियों ने कहा है कि विभाग ने अनावश्यक रूप से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर आदेश को लागू किया है। इनमें से कई छोटे शहरों में बतौर उद्यमी काम कर रहे हैं।

उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।दूरसंचार विभाग ने न्यायालय के समायोजित सकल आय पर आदेश के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की गेल इंडिया लि. से पिछले बकाये के रूप में 1.72 लाख करोड़ रुपये की मांग की है। नोटिस के जवाब में गेल ने कहा है कि सरकार को वह जो भुगतान कर चुका है, उसके अलावा उस पर कुछ भी बकाया नहीं है।गेल के अलावा विभाग ने पावर ग्रिड से 1.25 लाख करोड़ रुपये की मांग की हैं। कंपनी के पास राष्ट्रीय लंबी दूरी के साथ-साथ इंटरनेट लाइसेंस हैं। पावरग्रिड का कहना है कि 2006-07 से उसकी समायोजित आय 3,566 करोड़ रुपये है और जुर्माना जोड़ने के बाद यह 22,168 करोड़ रुपये बैठता है।

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