नेक्स्ट एजुकेशन ने कक्षा 6-10 के लिए गणित और विज्ञान के लिए एडॉप्टिव असेसमेंट्स लॉन्च किया

नई दिल्ली। व्यक्तिगत छात्रों को व्यक्तिगत मूल्यांकन प्रदान करने के उद्देश्य के साथ भारत के प्रमुख एजुकेशन सॉल्युशन प्रोवाइडर नेक्स्ट एजुकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने हाल ही में कक्षा 6 से कक्षा 10 तक के छात्रों के लिए मशीन लर्निंग-पावर्ड एडॉप्टिव टेस्ट लॉन्च किया है। नेक्स्ट एजुकेशन द्वारा लागू किया गया एडॉप्टिव टेस्ट एक छोटी अवधि में किसी छात्र द्वारा प्राप्त ज्ञान के अध्याय-वार स्तर को मापने के लिए आइटम रिस्पांस थ्योरी (आईआरटी) पर आधारित है। यह इनोवेटिव अप्रौच यह सुनिश्चित करती है कि छात्र टेस्ट में ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी वर्तमान क्षमता और ज्ञान को चुनौती दे सकें। यह टेस्ट नेक्स्टलर्निंग प्रोग्राम पर रजिस्टर्ड स्कूलों के लिए उपलब्ध हैं। अलग-अलग छात्र उन्हें कंपनी के सेल्फ-लर्निंग सॉल्यूशन लर्ननेक्स्ट पर मुफ्त में भी ले जा सकते हैं। इस नई सुविधा के माध्यम से नेक्स्ट एजुकेशन शिक्षार्थियों को किसी भी समय और स्थान पर 60,000 प्रश्नों के विस्तृत बैंक के साथ असेसमेंट करने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा एचडी एनिमेटेड वीडियो और डिजिटल किताबों की उपलब्धता वाला पुरस्कार-प्राप्त इन-हाउस कंटेंट जो लर्ननटेक्स्ट / एनएलपी पर उपलब्ध हैं, छात्रों को स्वतंत्र रूप से सीखने के अंतर को पाटने की अनुमति देता है। अपने नए लॉन्च किए गए एडॉप्टिव टेस्ट की सफलता पर बोलते हुए, श्री ब्यास देव रल्हान, सीईओ और सह-संस्थापक, नेक्स्ट एजुकेशन, ने कहा, “शिक्षा को प्रत्येक छात्र की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए, यही कारण है कि किसी भी पाठ्यक्रम की शुरुआत के समय शिक्षार्थी के व्यक्तिगत स्तर का सही मूल्यांकन करने की आवश्यकता होती है। आईआरटी पर ए़डॉप्टिव टेस्ट इस तरह के असेसमेंट का सबसे अच्छा संभव तरीका है। टेस्ट को डिजाइन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले परिष्कृत एमएल एल्गोरिथ्म छात्र के स्तर के अनुरूप प्रश्न की कठिनाई को एडजस्ट करने में माहिर है। जब तक छात्र की क्षमता को संतोषजनक तरीके से मापा नहीं जाता, तब तक यह प्रोग्राम उसके सामने सवाल उठाता रहता है।” उन्होंने कहा, “हमारे पास 2007 से गुमनाम रूप से एकत्र की गई लाखों प्रतिक्रियाओं का एक व्यापक डेटाबेस है, जो हमें अपने अनुकूली टेस्ट के लिए उच्च सटीकता सुनिश्चित करने में मदद करता है। इस तरह के स्टैंडर्ड फिक्स टेस्ट्स की तुलना में परीक्षा की अवधि को न केवल 50-75% तक कम करते हैं, बल्कि मनोबल बढ़ाने का काम भी करते हैं। इससे परीक्षार्थियों के बीच हतोत्साहन या ऊब की संभावना कम हो जाती है। यह शिक्षकों की व्यक्तिगत शिक्षार्थियों की क्षमताओं के अनुकूल टेस्ट के दबाव को भी कम करता है, जिससे वे उनके लिए व्यक्तिगत सीखने के तरीकों का आकलन और डिजाइन कर सकें। इसके लॉन्च के 2 महीने के भीतर नेक्स्ट एजुकेशन के एडॉप्टिव टेस्ट्स में 63,000 से अधिक छात्रों ने प्रयास किए है ताकि वे अपने परीक्षा प्रतिशत में काफी सुधार कर सकें। भवन्स स्कूल, हिंगनघाट, के एक्सएक्सएक्स स्टैंडर्ड के छात्र और केबीसी विजेता आदित्य बत्रा ने नेक्स्ट एजुकेशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से एडॉप्टिव टेस्ट्स देकर 91 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उन्होंने कहा, “यह एक अद्भुत अनुभव था। प्रत्येक प्रश्न हमारे पाठ्यक्रम से था, जो मैं पहले पढ़ चुका था। मैं भी टेस्ट में पूरी तरह से व्यस्त था और कभी भी बोरियत महसूस नहीं की। इस टेस्ट से मैं प्रत्येक विषय की तैयारी का सही आकलन कर सकता था। “भवन्स स्कूल, हिंगनघाट के एक्सएक्सएक्स स्टैंडर्ड के छात्र, और होमी भाभा बाल वैज्ञानिक प्रतियोगिता के विजेता, शारवरी मुडे ने अपने स्कूल में किए गए ए़डॉप्टिव टेस्ट में 99 प्रतिशत अंक हासिल किए। उन्होंने कहा, “यह एक दिलचस्प टेस्ट था। सवालों ने हमें यह पहचानने में मदद की कि हमने वास्तव में किसी विशेष अध्याय या विषय के बारे में कितना सीखा है। यह टेस्ट मजेदार था। मैं हर छात्र को इस टेस्ट में भाग लेने की सलाह दूंगी। इसे घर पर एक बार फिर से आजमाना चाहूंगी। कम्प्यूटरीकृत एडॉप्टिव टेस्ट के कंसेप्ट का उपयोग व्यापक रूप से टेस्ट्स में किया जाता है जैसे एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस द्वारा विकसित जीआरई, टीओईएफएल और एसएटी, साथ ही साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन काउंसिल द्वारा आयोजित जीमैट। भारत में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने उच्च शिक्षण संस्थानों – जेईई मेन, नीट यूजी और नेट- के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एडॉप्टिव टेस्ट का उपयोग करने का भी प्रस्ताव किया है ताकि उच्च विश्वसनीयता और उम्मीदवारों की वास्तविक योग्यता का आकलन किया जा सके। कम उम्र में स्कूली छात्रों के लिए अपने प्लेटफार्म पर इस अप्रोच को लॉन्च कर नेक्स्ट एजुकेशन का उद्देश्य एक ए़डॉप्टिव लर्निंग माहौल बनाना है जो छात्रों के व्यक्तिगत अंतरों का उचित मूल्यांकन कर सके और उनके लिए कस्टमाइज्ड शिक्षण मार्ग बना सके।

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