जवानों का मनोबल नहीं तोड़ सकते नक्सलियों व आतंकवादियों के हमले : संजय लाठकर

  • झारखंड सीआरपीएफ के शौर्य दिवस पर शहीदों को किया नमन
  • अलंकृत व उत्कृष्ट कार्य के लिए अधिकारी व कार्मिक भी सम्मानित
  • 11 साल की अल्पावधि में सीआरपीएफ ने 179 माओवादियों को मार गिरायाः लाठकर

रांची। झारखंड केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के आईजी संजय आनंद लाठकर ने कहा कि झारखंड सेक्टर के गठन से अबतक के 11 साल की अल्पावधि में 179 माओवादियों को मार गिराया गया है। पुलिस बल के दबाव में 111 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया जबकि 1,888 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है। लाठकर मंगलवार को शौर्य दिवस के अवसर आयोजित एक समारोह में बतौर मुख्य अथिति बोल रहे थे। लाठकर ने बताया कि आतंंकवादियों तथा नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर किये जा रहे हमले हमारे बल के अधिकारियों और जवानों का मनोबल तोड़ नहीं सकतेे। उन्होंने कहा कि नक्सलियों और माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान 326 नियमित हथियार, 1,333 देसी हथियार, 52,514 गोला-बारूद, 3,254 आईईडी तथा 25,000 किलोग्राम से भी अधिक विस्फोटक सामग्री जब्त की गयी है। उन्होंने कहा कि झारखंड सेक्टर की सीआरपीएफ के जवानों को उनकी बहादुरी के लिए अभीतक 05 शौर्य चक्र, 193 पीपीएमजी-पीएमजी, 100 पराक्रम पदक और 1,126 महानिदेशक के प्रशंसा पत्र मिले हैं। देश की सेवा करते हुए अबतक बल के राज्य के 55 जवान सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों जवानों ने अपनी शहादत दी है। नक्सलियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के अतिरिक्त सेक्टर शहीदों के परिवारों के लिए कई कल्याणकारी योजनायें चला रहा है। इसके अलावा राज्य में आम जनता के लिए विभिन्न प्रकार के कल्याणकारी कार्य किये गये हैं। उन्होंने कहा कि जमशेदपुर स्थित प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थान एक्सएलआरआई के एनजीओ सीड्स को लगभग 10,000 कपड़े जरूरतमंद लोगों को बांटने के लिए उपलब्ध कराये गये। कार्यक्रम में डीआईजी अखिलेश प्रसाद सिंह, डीएस राठौर, मनीष सच्चर, अमित तनेजा, राम सिंह, डीटी बनर्जी, डॉ. ए सरकार, कमांडेंट ब्रजेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, संजय कुमार सिंह, कमांडेंट, 133 बटालियन सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी और जवान मौजूद थे।
शहीदों के परिवारों को किया गया सम्मानित
शौर्य दिवस के अवसर पर सर्वप्रथम शहीदों को नमन किया गया। साथ ही उनके परिजनों को सम्मानित किया गया। समारोह में पुलवामा में शहीद विजय सोरेंग की पत्नी कोे भी सम्मानित किया गया। समारोह में वीरता पदक से अलंकरित अधिकारियों व कार्मिकों को भी सम्मानित किया गया। पिछले एक वर्ष में झारखंड में तैनाती के दौरान महत्वपूर्ण कार्यों में उत्कृष्ट भूमिका निभाने वाले सीआरपीएफ के 03 कार्मिकों को पराक्रम पदक, 38 अधिकारियों एवं कार्मिकों को महानिदेशक सीआरपीएफ के प्रशंसा डिस्क व प्रशंसा पत्र तथा 47 अधिकारियों एवं कार्मिकों को महानिदेशक सीआरपीएफ एवं 02 कार्मिकों को पुलिस महानिरीक्षक के प्रशंसा पत्र से नवाजा गया।
80 यूनिट रक्तदान और हथियारों की प्रदर्शनी
राष्ट्रसेवा का 80 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में सीआरपीएफ अधिकारियों एवं जवानों ने 80 यूनिट रक्तदान किया। शौर्य दिवस पर एक विशेष प्रदर्शनी में स्कूली बच्चों के ज्ञानार्जन के लिए सीआरपीएफ के हथियारों का प्रदर्शन किया गया। स्कूली बच्चों के बीच वाद-विवाद, निबंध एवं चित्रकारी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। केनाइन शो, ड्रोन शो और बैंड शो भी किए गए।
वीरगाथा से जुड़ा है सीआरपीएफ का शौर्य दिवस
शौर्य दिवस सीआरपीएफ की वीरगाथा से जुड़ा आयोजन है। इसी दिन सन् 1965 में सीआरपीएफ की द्वितीय बटालियन की चार कंपनियों ने रन ऑफ कच्छ (गुजरात) की पश्चिमी पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित सरदार और टॉक पोस्ट की सुरक्षा के लिए तैनात थी। 8- 9 1965 अप्रैल की मध्य रात्रि लगभग 3.30 बजे पाकिस्तान की इन्फेंट्री ब्रिगेड ने सरदार एवं टॉक की भारतीय सीमा पोस्ट पर आक्रमण कर दिया। सीआरपीएफ जवानों की छोटी-सी टुकड़ी ने वीरता से मुकाबला कर 34 पाकिस्तानी फौजी मार गिराए थे तथा 4 को जीवित पकड़ा था। इस दौरान आठ जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। जवानों के अदम्य साहस और वीरता ने पाकिस्तानी इन्फेंट्री ब्रिगेड को 13 घंटे तक न सिर्फ आगे बढ़ने से रोके रखा, बल्कि उन्हें पीछे हटने पर विवश कर दिया। सेना युद्ध के इतिहास में अनुपम कौशल व अद्वितीय बहादुरी की यह बेजोड़ मिसाल है। उसी दिन से संपूर्ण भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष 9 अप्रैल शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

This post has already been read 6402 times!

Sharing this

Related posts