नालंदा-राजगीर: इतिहास की अद्भुत थाती के रत्न

हाल ही में पटना फिल्म महोत्सव के समय पटना जाने का मौका मिला। चाणक्य के निर्देशन और लेखन के समय से मगध का प्राचीन उत्कर्ष मुझे आमंत्रित करता रहा है। अभी तक चार बार मुझे इस पुण्यभूमि को देखने का अवसर मिला है। यहां की सांस्कृतिक विरासत को संभालने और उसके बारे में दुनिया को बताने की जरूरत है। कहने की आवश्यकता नहीं कि प्रियदर्शी अशोक के शासन काल में मगध साम्राज्य ने भारत को दिशा दी। बौद्घ धर्म में दीक्षित होने के बाद प्रियदर्शी अशोक ने अनेक ऐसे कार्य किए, जो आज भी अनुकरणीय हैं।

धार्मिक व सांस्कृतिक स्थल:- पाटलिपुत्र के पास अवस्थित नालंदा और राजगीर का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व है। नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय के ध्वंसावशेषों पर घूमते हुए सिर गर्व से उन्नत हो जाता है। इतनी सदियों पहले भारत ज्ञानभूमि के रूप में विख्यात था। देश-विदेश से छात्र यहां पढ़ने आते थे। चीनी यात्री फाहियान और ह्वेन सांग ने विस्तार से नालंदा के बारे में लिखा है। कहते हैं अभी तक इस प्राचीन विश्वविद्यालय के ध्वंसावशेष के काफी हिस्से जमीन के अंदर दबे पड़े हैं। अगर उत्खनन के बाद संपूर्ण विश्वविद्यालय सामने आ जाए तो हमें अपने गौरवशाली अतीत की सही जानकारी मिलेगी। करीब दो दशक पहले जब मैं पहली बार नालंदा और राजगीर आया था तो वहां के रखरखाव से काफी दुखी हुआ था। मुझे लगा था कि हम अपने अतीत के अवशेषों का संरक्षण नहीं करके अपने भविष्य की बुनियाद कमजोर कर रहे हैं। हम क्या होंगे के बारे में सोचने के पहले यह जानना जरूरी है कि हम क्या थे और क्या हैं? बिहार सरकार को राजस्थान सरकार और विदेशों से सीखना चाहिए। उन्होंने अपने प्राचीन इमारतों, स्थापत्यों और ऐतिहासिक स्थलों का सुंदर विकास किया है और उन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है। आज कोई भी विदेशी आता है तो वह दिल्ली-आगरा और जयपुर के त्रिकोण की यात्रा करता है। भारत को सिर्फ इस त्रिकोण से नहीं समझा जा सकता। बिहार सरकार और पर्यटन विभाग के संबंधित अधिकारियों को अपने गौरवशाली अतीत के संरक्षण के साथ ही उन स्थलों को पर्यटकों के लिए सुविधाजनक बनाने पर ध्यान देना चाहिए। पटना में रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा और अन्य प्रमुख चैराहों पर बिहार के अतीत का उल्लेख होना चाहिए। हवाई अड्डे पर ही अगर किसी को ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की जानकारी दी जाए तो वह अवश्य ही इन ऐतिहासिक नगरों को देखने के लिए प्रेरित होगा।

राजगीर का विशेष महत्व:- बौद्घों के लिए राजगीर का विशेष महत्व है। भगवान बुद्घ ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष यहां बिताए थे। राजगीर में टहलते हुए यह अहसास गर्व से भर देता है कि कभी इस भूमि पर बुद्घ के पांव पड़े थे। वहां की पहाड़ियों ने उनका साक्षात्कार किया होगा और आज हम उन पहाड़ियों को देख रहे हैं। राजगीर में जापान और चीन के सहयोग से काफी विकास हुआ है। जापान और चीन के साथ ही कोरिया, सिंगापुर, थाइलैंड और पूर्व एशिया के अनेक देश नालंदा और राजगीर के विकास में रुचि दिखा रहे हैं। अगर सचमुच उनके सहयोग से नालंदा-राजगीर में आधुनिक सुविधाओं का प्रावधान किया जाए तो मेरी स्पष्ट राय है कि अनेक पर्यटक वहां जाना पसंद करेंगे। बिहार के पास अतीत की अद्भुत थाती है। नालंदा और राजगीर इस थाती के रत्न हैं।

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